कुतुब मीनार को 43 साल पहले खोला गया था, लेकिन एक रहस्यमयी घटना के बाद से इसके दरवाजे कभी नहीं खोले गए

43 सालों से क्यों बंद है कुतुब मीनार: देश-दुनिया से लाखों पर्यटक कुतुब मीनार देखने आते हैं। पहले कुतुब मीनार में प्रवेश की अनुमति थी, लेकिन अब इसे केवल बाहर से ही देखा जा सकता है। कुतुब मीनार के दरवाजे 43 वर्षों से बंद हैं।

भारत की राजधानी दिल्ली में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं। उनमें से एक है कुतुब मीनार। जिसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश, फिरोज शाह तुगलक, शेरशाह सूरी और सिकंदर लोदी जैसे शासकों ने अपने शासनकाल के दौरान करवाया था।

कुतुब मीनार दिल्ली के महरौली में स्थित है। हर साल देश-दुनिया से करीब 3 से 4 मिलियन पर्यटक कुतुब मीनार देखने आते हैं।

आजकल आप कुतुब मीनार को केवल बाहर से ही देख सकते हैं। इसमें किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है।

हालाँकि, लगभग 43 साल पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। उस समय पर्यटकों को भी अंदर जाने की अनुमति थी।

लेकिन 43 साल पहले ऐसा क्या हुआ था कि कुतुब मीनार के दरवाजे हमेशा के लिए बंद करने पड़े? आइये हम आपको बताते हैं।

दरअसल, 4 दिसंबर 1981 को कुतुब मीनार पर कुछ अप्रिय घटना घटी थी। शुक्रवार होने के कारण कुतुब मीनार पर्यटकों से खचाखच भरा हुआ था।

उस दिन बड़ी संख्या में पर्यटक कुतुब मीनार देखने आये थे। उसके अंदर भी कई लोग मौजूद थे। लेकिन फिर जो कुछ हुआ उसके बाद चारों तरफ से केवल चीखें ही सुनाई देने लगीं।

कुतुब मीनार के अंदर भीड़ बढ़ने लगी और रात करीब साढ़े ग्यारह बजे अचानक बिजली चली गई। उस समय अंदर करीब 500 लोग मौजूद थे।

जैसे ही लाइटें बंद हुईं, अंदर अंधेरा हो गया, जिससे लोग डर गए। इसी बीच किसी ने अफवाह फैला दी कि कुतुब मीनार गिर रही है। जिसके बाद वहां अफरा-तफरी मच गई।

जब लोग कुतुब मीनार से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे तो अंदर भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़ रहे थे और किसी भी तरह कुतुब मीनार से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे।

भगदड़ थमने के बाद अंदर कई लोग घायल और मृत पड़े मिले। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भगदड़ में 45 लोगों की मौत हो गई है। जबकि 21 लोग घायल हो गए हैं। इस घटना के बाद से कुतुब मीनार के द्वार बंद कर दिए गए हैं और किसी को भी इसमें प्रवेश की अनुमति नहीं है।