कामदा एकादशी 2025: व्रत, पूजा विधि और भगवान विष्णु को अर्पित किए जाने वाले भोग

 

कामदा एकादशी 2025: व्रत, पूजा विधि और भगवान विष्णु को अर्पित किए जाने वाले भोग
कामदा एकादशी 2025: व्रत, पूजा विधि और भगवान विष्णु को अर्पित किए जाने वाले भोग

चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी न केवल धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखती है, बल्कि भक्तों को मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक बल भी प्रदान करती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से सभी पापों से मुक्ति मिलती है, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण, हिंदू धर्म में इस व्रत को अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।

कामदा एकादशी व्रत 2025

वर्ष 2025 में कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल, मंगलवार को रखा जाएगा।

  • पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4 बजकर 32 मिनट से 5 बजकर 18 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 20 मिनट तक

व्रत का पारण यानी व्रत खोलने का समय अगले दिन, 9 अप्रैल, द्वादशी तिथि को होगा।

  • पारण का शुभ समय: सुबह 6 बजकर 2 मिनट से 8 बजकर 34 मिनट तक

भगवान विष्णु को अर्पित करें यह भोग

पूजन के दौरान देवी-देवताओं को उनका प्रिय भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस दिन उन्हें उनके पसंदीदा पदार्थों का भोग अर्पित करें।

  • तुलसी के पत्ते: भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। किसी भी भोग में तुलसी दल अवश्य रखें।
  • मौसमी फल: ताजे और ऋतुफल जैसे केला, आम, अंगूर, खरबूजा, तरबूज आदि भगवान को अर्पित किए जा सकते हैं।
  • सूखे मेवे और मिठाई: बादाम, काजू, किशमिश, पिस्ता या इनसे बनी मिठाई जैसे खीर, पेड़ा, बर्फी, धनिया की पंजीरी आदि अर्पण करें।
  • पंचामृत: गाय का दूध, दही, घी, शहद और शुद्ध गंगाजल से बना पंचामृत भगवान को विशेष रूप से अर्पित किया जाता है।

कामदा एकादशी का महत्व

ऐसी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखता है, पूजा करता है और भगवान विष्णु को उनका प्रिय भोग अर्पित करता है, तो उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कामदा एकादशी का यह पावन अवसर केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है। यदि आप चाहें तो मैं इस व्रत से जुड़ी कथा या व्रत नियमों की विस्तार से जानकारी भी प्रदान कर सकता हूँ।

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