
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मंगलवार को राज्य की स्वायत्तता को लेकर एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश कुरियन जोसेफ की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाएगी, जो केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संबंधों की विस्तार से जांच करेगी। स्टालिन ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार धीरे-धीरे राज्यों के अधिकारों को कम कर रही है, और इस समिति का उद्देश्य राज्य की स्वायत्तता को सुनिश्चित करना है।
समिति की कार्यवाही और रिपोर्ट
मुख्यमंत्री ने राज्य विधानसभा में बताया कि समिति जनवरी 2026 तक अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपेगी, जबकि इसकी अंतिम रिपोर्ट दो साल के भीतर सिफारिशों के साथ प्रस्तुत की जाएगी। समिति में पूर्व नौकरशाह अशोक वर्धन शेट्टी और राज्य योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एम नागनाथन भी सदस्य होंगे। स्टालिन ने यह भी बताया कि समिति उन विषयों का अध्ययन करेगी जिन्हें पहले राज्य सूची में रखा गया था, लेकिन अब उन्हें समवर्ती सूची में शामिल कर लिया गया है। उन्होंने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) का उदाहरण दिया, जो राज्य के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
परिसीमन पर भी खोला मोर्चा
यह घोषणा तब हुई जब एम के स्टालिन ने 22 मार्च को परिसीमन मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। उन्होंने विपक्ष की एक बैठक भी बुलाई, जिसमें कई राज्यों के मुख्यमंत्री और विपक्षी नेता शामिल हुए, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस इस बैठक से बाहर रही। परिसीमन मुद्दे पर चर्चा के लिए विपक्ष की ज्वाइंट एक्शन कमेटी की पहली बैठक चेन्नई में आयोजित की गई थी, जिसमें केरल, तेलंगाना, पंजाब के मुख्यमंत्री और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार सहित अन्य विपक्षी दलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इसके अलावा, केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी चेन्नई पहुंचे थे।
जब सुष्मिता सेन के साथ इंटीमेट सीन के दौरान एक्टर ने खो दिया था कंट्रोल, रोते हुए भाग गई थी एक्ट्रेस