
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो चुकी है। इसे लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जहां एक ओर तारीफ की जा रही है, वहीं दूसरी ओर कई वर्गों द्वारा आलोचना भी हो रही है। आलोचना करने वालों में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी भी शामिल हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जो भी कानून शरीयत के खिलाफ होगा, उसे मुसलमान कभी स्वीकार नहीं करेगा।
मौलाना रिजवी का आरोप है कि उत्तराखंड सरकार ने मुसलमानों को विश्वास में लिए बिना यह कानून बनाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने सिर्फ अपने एजेंडे के तहत काम किया और मुस्लिम समाज से कोई राय नहीं ली गई।
धामी को सम्मानित किया गया, वहीं मौलाना ने उठाए सवाल
उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित एनवर्टीज यूनिवर्सिटी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सम्मानित किया गया। इस दौरान एक ओर धामी समान नागरिक संहिता पर बोल रहे थे, वहीं मौलाना शहाबुद्दीन ने मीडिया से बात करते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की।
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री ने हिंदुत्व की छवि मजबूत करने के उद्देश्य से उत्तराखंड में UCC लागू किया है। उन्होंने रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर इस कानून को विधानसभा से पास कराया। लेकिन यह कमेटी निष्पक्ष तरीके से काम नहीं कर पाई।”
मौलाना ने कहा – मुसलमानों की राय नहीं ली गई
मौलाना शहाबुद्दीन ने डॉ. भीमराव अंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने समान नागरिक संहिता को तब लागू करने की बात कही थी जब समाज के सभी वर्ग इसके पक्ष में हों। लेकिन उत्तराखंड सरकार ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया।
UCC में शरीयत के उसूल नहीं शामिल
उनका कहना है कि जिस कानून में मुस्लिम समुदाय, अनुसूचित जनजातियों और विभिन्न बिरादरियों को शामिल ही न किया गया हो, उसे समान नागरिक संहिता नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि मुसलमान केवल उसी कानून को मान्यता देंगे, जो शरीयत के सिद्धांतों के विरोध में न हो। यदि कानून इस तरह तैयार किया जाए कि उसमें टकराव न हो, तभी उसे स्वीकार किया जा सकता है।
वक्फ संशोधन बिल का किया समर्थन
हालांकि वक्फ संशोधन बिल के मामले में मौलाना शहाबुद्दीन ने केंद्र सरकार का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इस बिल के पारित होने से वक्फ संपत्तियों में हो रहे भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी और वाकिफ (दानदाता) की मंशा के अनुरूप संपत्तियों का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि वक्फ संपत्तियों की आमदनी का उद्देश्य था—गरीब, यतीम, लाचार मुसलमानों की मदद करना, उनके लिए स्कूल, मदरसे, लाइब्रेरी बनाना, बच्चों की पढ़ाई के लिए फीस देना। लेकिन अब इन संपत्तियों का दुरुपयोग हो रहा है। वक्फ बोर्ड के कुछ सदस्यों और अधिकारियों ने भ्रष्टाचार कर करोड़ों की जमीनें औने-पौने दामों में बेच दीं।
वक्फ कानून में बदलाव जरूरी बताया
मौलाना ने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी वक्फ कानून में पांच बार संशोधन हो चुका है और अब भाजपा सरकार छठा संशोधन कर रही है। उनका मानना है कि समय के अनुसार कानूनों में बदलाव जरूरी होता है, और आज सबसे बड़ी जरूरत भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की है।
उन्होंने अंत में दोहराया कि वक्फ संपत्तियों की आमदनी का उपयोग सिर्फ नेक कामों के लिए होना चाहिए, जैसा कि हमारे बुजुर्गों ने नीयत की थी।
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