केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आधिकारिक बंगले से 3-4 बोरी नकदी की बरामदगी पर केंद्र सरकार की ओर से पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया दी। टाइम्स नाउ समिट में बोलते हुए शाह ने कहा कि इस मामले में किसी भी तरह की FIR तब तक दर्ज नहीं हो सकती जब तक भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अनुमति नहीं मिलती।
उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच के लिए जजों का एक पैनल गठित किया गया है, और सभी को उसकी रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। दिल्ली पुलिस और अग्निशमन विभाग समिति को सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध करा रहे हैं और पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं। शाह ने कहा कि समिति ही अंतिम निर्णय लेगी और उसे सार्वजनिक किया जाएगा।
वक्फ विधेयक पर सरकार की प्रतिबद्धता
अमित शाह ने वक्फ विधेयक को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि भले ही मुस्लिम धर्मगुरु, इस्लामिक संगठन और विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हों, सरकार इसे संसद में पेश करेगी। शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि 2013 में बिना किसी बहस के वक्फ विधेयक पारित किया गया था, जो वोटबैंक की राजनीति के तहत किया गया।
उन्होंने आगे कहा, “हम इसे संविधान के अनुरूप लाने का प्रयास कर रहे हैं। वर्तमान कानून के तहत वक्फ बोर्ड के निर्णयों को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती, जबकि सरकार के फैसलों को चुनौती दी जा सकती है। यह दोहरे मापदंड क्यों?” शाह ने विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वे मुस्लिम समुदाय को केवल वोटबैंक की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।
राहुल गांधी के आरोपों पर अमित शाह का जवाब
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के इस आरोप पर कि उन्हें संसद में बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा, अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस को संसदीय बहसों में 40% समय मिलता है, जो पर्याप्त है।
शाह ने तंज कसते हुए कहा, “राहुल गांधी अन्य सदस्यों के समय में बोलना चाहते हैं। यह पार्टी कार्यालय में हो सकता है, लेकिन संसद में नियमों के तहत ही बोलना होगा।”
इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल और गर्म हो सकता है, क्योंकि कांग्रेस और भाजपा के बीच वक्फ विधेयक और संसदीय कार्यवाही को लेकर पहले से ही तकरार जारी है।