पाली गांव में अनोखा अनुष्ठान : भारत परंपराओं का देश है। यहां देश के हर कोने में सदियों से खास परंपराएं चली आ रही हैं।ऐसी ही एक परंपरा राजस्थान के पाली गांव में देखने को मिलती है। ये परंपरा आज भी लोगों का ध्यान खींचती है. यह परंपरा अन्यत्र कहीं नहीं मिलती।
राजस्थान के पाली जिले के बुसी कस्बे की शादियां अनोखी हैं। यहां मौजीराम जी और मौजनी देवी के मंदिर में शादी से जुड़े कुछ अनोखे रीति-रिवाज निभाए जाते हैं।
यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है लेकिन यहां लोग इन्हें मौजीराम जी और मौजनी देवी के रूप में पूजते हैं। इस मंदिर का विशेष धार्मिक महत्व है और हर साल हजारों लोग यहां आते हैं।
जब घर में किसी की शादी तय होती है तो परिवार के लोग यहां प्रार्थना करते हैं, ताकि शादी के सभी कार्य शुभ और बिना किसी बाधा के संपन्न हो जाएं। विवाह के अवसर पर भगवान की इस जोड़ी को मंदिर में मेहंदी और इत्र से सजाया जाता है।
यहां शादी के दौरान एक अनोखी रस्म निभाई जाती है, जिसमें शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट्स की पूजा की जाती है। यह पूजा सुख, शांति और समृद्धि के लिए की जाती है। यह अनुष्ठान आस्था और विश्वास के साथ किया जाता है। मान्यता है कि इसे विधिपूर्वक करने से दांपत्य जीवन में समृद्धि, सुख और शांति आती है
बुसी में पाई जाने वाली बिंदौरी परंपरा में दूल्हे के घोड़े को ले जाया जाता है। हालाँकि, गाने की बजाय लोग एक-दूसरे का अपमान करते हैं और उस पर नाचते हैं। इस रस्म को पूरा करने के बाद ही दूल्हा-दुल्हन की शादी कराई जाती है।
इस शादी के बाद सुहागरात की रस्म निभाई जाती है, लेकिन खास बात यह है कि सुहागरात के तुरंत बाद दूल्हा-दुल्हन को करीब एक साल तक अलग रहना पड़ता है। इस दौरान उन्हें एक-दूसरे से मिलने की इजाजत भी नहीं है.