अडानी समूह ने अपने फॉर्च्यून ब्रांड के तहत संचालित अडानी विल्मर लिमिटेड में 13.5% हिस्सेदारी बेचकर ₹4,850 करोड़ जुटाए हैं। यह बिक्री समूह की रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह गैर-प्रमुख व्यवसायों से बाहर निकलकर अपने मुख्य इंफ्रास्ट्रक्चर कारोबार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
बिक्री पेशकश (OFS) की डिटेल्स
- 13.5% हिस्सेदारी की बिक्री:
- 17.54 करोड़ शेयर (13.50%) 10 जनवरी को गैर-खुदरा निवेशकों और 13 जनवरी को खुदरा निवेशकों को ₹275 प्रति शेयर के आधार मूल्य पर पेश किए गए।
- अतिरिक्त बिक्री का विकल्प:
- 8.44 करोड़ शेयर (6.50%) की अलग से बिक्री का विकल्प भी रखा गया था।
- कुल मिलाकर, पेशकश में 19.50 करोड़ शेयर (15.01%) शामिल किए गए।
निवेशकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया
अडानी विल्मर की बिक्री पेशकश को निवेशकों से शानदार प्रतिक्रिया मिली।
- 100 से अधिक निवेशकों ने इसमें भाग लिया, जिसमें अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों निवेशकों की भागीदारी रही।
- यह हाल के समय में भारतीय पूंजी बाजार में सबसे बड़े OFS में से एक था।
- 1.96 करोड़ शेयर (1.51%) अतिरिक्त खरीद के विकल्प का उपयोग करने की योजना है।
न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (MPS) मानदंडों का अनुपालन
ओएफएस के सफल समापन के साथ अडानी विल्मर ने एमपीएस (25% सार्वजनिक शेयरधारिता) के मानदंडों का पालन कर लिया है।
- प्रवर्तकों की हिस्सेदारी: 74.37%।
- सार्वजनिक शेयरधारकों की हिस्सेदारी: 25.63%।
अडानी विल्मर से समूह के बाहर निकलने का पहला चरण
यह बिक्री अडानी समूह के अडानी विल्मर लिमिटेड से बाहर निकलने की प्रक्रिया का पहला चरण है।
- अडानी समूह की वर्तमान हिस्सेदारी 43.94% है।
- दूसरा चरण:
- विल्मर इंटरनेशनल लिमिटेड ने ₹305 प्रति शेयर की कीमत पर शेष हिस्सेदारी खरीदने पर सहमति जताई है।
रणनीतिक बदलाव: गैर-प्रमुख व्यवसायों से बाहर निकलना
अडानी समूह ने पिछले महीने घोषणा की थी कि वह अपने गैर-प्रमुख व्यवसायों से बाहर निकलकर मुख्य इंफ्रास्ट्रक्चर व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- अडानी विल्मर से हिस्सेदारी की बिक्री इसी रणनीति का हिस्सा है।
- बिक्री का बड़ा हिस्सा ज्वाइंट वेंचर पार्टनर को दिया गया है।
अब तक जुटाई गई पूंजी
- इस वित्तीय वर्ष में, अडानी समूह ने अब तक $3.15 अरब (₹25,000 करोड़) की इक्विटी पूंजी जुटाई है।
- यह रकम समूह के कर्ज को कम करने और मुख्य व्यवसायों में पुनर्निवेश के लिए इस्तेमाल की जाएगी।a