News India Live, Digital Desk: YouTube’s Master Stroke : अगर आप भी YouTube पर वीडियो बनाते हैं, तो आपके लिए एक बड़ी और सीधी ख़बर है! YouTube अब उन क्रिएटर्स पर ‘शिकंजा कसने’ वाला है, जो बस ‘क्वांटिटी’ पर ध्यान देते हैं और ‘क्वालिटी’ को भूल जाते हैं। जी हाँ, दुनिया के सबसे बड़े वीडियो प्लेटफॉर्म YouTube ने अब अपने मोनेटाइजेशन (वीडियो से पैसे कमाने के नियम) को ‘मास-प्रोड्यूस्ड’ और ‘बार-बार एक जैसे’ (repetitive) कंटेंट के लिए और ज्यादा सख्त कर दिया है।
क्या होगा अब YouTube पर? ‘क्वांटिटी’ नहीं, ‘क्वालिटी’ पर ध्यान
YouTube ने एक बड़ा बदलाव किया है। अभी तक कई क्रिएटर्स ऐसे वीडियो बनाते थे जिनमें ज़्यादा मेहनत नहीं लगती थी – जैसे बस कुछ तस्वीरों या वीडियो क्लिप्स को जोड़कर, ऊपर से कोई रोबोटिक आवाज़ में कुछ बोलकर, या फिर ‘कॉपी-पेस्ट’ करके बड़ी संख्या में वीडियो डाल देते थे। अब ऐसे वीडियो से पैसे कमाने का रास्ता मुश्किल हो जाएगा।
क्यों यह बदलाव आया? सीधा और साफ़ जवाब है: ‘क्वालिटी’ और ‘ऑरिजनैलिटी’
YouTube का कहना है कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर अच्छी और काम की जानकारी देने वाले वीडियो को बढ़ावा देना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि क्रिएटर्स अपने कंटेंट में कुछ नयापन लाएं, अपनी आवाज़ या अपना चेहरा दिखाएं, या उसमें कोई ‘कहानी’ हो। ऐसा करने के पीछे ये बड़े कारण हैं:
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दर्शक अनुभव सुधारना (Improved User Experience): कोई भी दर्शक बार-बार एक जैसी या बोरिंग चीज़ें नहीं देखना चाहता। YouTube चाहता है कि जब लोग उनके प्लेटफॉर्म पर आएं तो उन्हें अच्छी और अलग वीडियो देखने को मिलें।
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विज्ञापनदाताओं की सुरक्षा (Advertiser Safety): जिन वीडियो पर विज्ञापन दिखाए जाते हैं, उनकी क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए। ‘लो-क्वालिटी’ या ‘नॉन-ओरिजिनल’ कंटेंट पर विज्ञापन दिखाना विज्ञापनदाताओं को पसंद नहीं आता।
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असली क्रिएटर्स को प्रोत्साहन (Encouraging Genuine Creators): जो क्रिएटर्स वाकई मेहनत करते हैं, अच्छे आईडिया सोचते हैं और ओरिजिनल कंटेंट बनाते हैं, उन्हें प्राथमिकता मिलनी चाहिए। यह बदलाव ऐसे क्रिएटर्स को आगे बढ़ने का मौका देगा।
कौन से वीडियो ‘सफेद हाथी’ बन सकते हैं? (जिन पर गिर सकती है गाज):
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बस-क्लिप्स वाले वीडियो (Clip-based Videos): अगर आपने सिर्फ इंटरनेट से कुछ क्लिप्स या तस्वीरें उठाईं, उन्हें बिना कोई नई क्रिएटिविटी डाले जोड़ दिया, और उसे अपलोड कर दिया – तो ऐसे वीडियो अब मोनेटाइज नहीं होंगे।
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टेम्पलेट-आधारित वीडियो (Template-based Content): ऐसे वीडियो जो किसी बने-बनाए टेम्पलेट पर आधारित होते हैं, जिनमें क्रिएटर्स का कोई अपना एफर्ट नहीं होता।
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ऑटोमैटिक जनरेटेड कंटेंट (Automatically Generated): वो वीडियो जो किसी सॉफ्टवेयर या AI से ऑटोमैटिक बनाए जाते हैं, जिनमें कोई ‘मानवीय स्पर्श’ (human element) नहीं होता।
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नैरेशन-रहित कंपाइलेशन (Narration-less Compilations): बस ढेर सारे वीडियो क्लिप्स का कंपाइलेशन, जिनमें क्रिएटर की कोई कमेंट्री या असली आवाज़ न हो।
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पुनरावृत्ति (Repetitive Content): अगर आप एक ही वीडियो को बार-बार थोड़ा बहुत बदलाव करके अपलोड कर रहे हैं, तो भी यह दिक्कत करेगा।
अब क्या करें क्रिएटर्स?
यह यूट्यूब का एक सीधा इशारा है कि अब प्लेटफॉर्म पर ‘क्वालिटी ओवर क्वांटिटी’ चलेगी। अगर आप YouTube से पैसे कमाना चाहते हैं, तो आपको:
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ओरिजनैलिटी पर ध्यान दें: अपनी वीडियो में अपना आइडिया, अपनी रिसर्च, अपनी आवाज़ या अपनी पर्सनलटी को शामिल करें।
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वैल्यू एड करें: सिर्फ जानकारी नहीं, उसमें कुछ नयापन या अपना दृष्टिकोण (perspective) जोड़ें।
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दर्शकों से जुड़ें: ऐसा कंटेंट बनाएं जो आपके दर्शकों के साथ इमोशनली कनेक्ट करे।