यूट्यूब अपने मोनेटाइजेशन नियमों में ला रहा बड़ा बदलाव: थोक में बनने वाले ‘आम’ कंटेंट पर कसेगा लगाम!

यूट्यूब अपने मोनेटाइजेशन नियमों में ला रहा बड़ा बदलाव: थोक में बनने वाले 'आम' कंटेंट पर कसेगा लगाम!
यूट्यूब अपने मोनेटाइजेशन नियमों में ला रहा बड़ा बदलाव: थोक में बनने वाले ‘आम’ कंटेंट पर कसेगा लगाम!

पूरी दुनिया के कंटेंट क्रिएटर्स के लिए सबसे पसंदीदा प्लेटफॉर्म यूट्यूब (YouTube) अब अपने मोनटाइजेशन (पैसे कमाने) की नीतियों में एक महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रहा है। यूट्यूब ने संकेत दिए हैं कि वह ऐसे वीडियो पर लगाम लगाएगा जिन्हें ‘थोक में’ या ‘कम मेहनत’ से तैयार किया जाता है। इसका सीधा मकसद ओरिजिनल और अनोखे कंटेंट को बढ़ावा देना है, ताकि असली क्रिएटर्स को बेहतर कमाई का मौका मिले।

क्या है यह नया बदलाव और किसको होगा असर?

यूट्यूब चाहता है कि क्रिएटर्स अपने कंटेंट में अपनी ‘पर्सनालिटी’ और ‘क्रिएटिविटी’ दिखाएं। यानी, अब सिर्फ बड़ी संख्या में या बार-बार एक ही जैसे फॉर्मेट पर बने वीडियो पर ध्यान नहीं दिया जाएगा। कंपनी उन वीडियोज को ‘रेपटिटिव’ (दोहराव वाला) और ‘रीयूज्ड’ (पुनः उपयोग किया गया) मानकर मोनटाइजेशन के योग्य नहीं मानेगी, जिनमें बहुत कम क्रिएटिविटी या नयापन हो। इसका असर खासतौर पर उन चैनल्स पर पड़ेगा जो मेडिटेशन (ध्यान), म्यूजिकल कम्पाइलेशंस (गाने के संग्रह), लम्बेट बीट्स या रटा-रटाया पैटर्न वाले वीडियो बनाते हैं, जिनमें कोई खास पहचान या क्रिएटिव मेहनत नहीं दिखती।

यूट्यूब का मानना है कि ऐसे मास-प्रोड्यूस्ड या फैक्ट्री स्टाइल के वीडियोज प्लेटफॉर्म पर बढ़ गए हैं। इन वीडियोज में अक्सर कोई ओरिजिनल कहानी या खास एडिटिंग नहीं होती और ये बहुत ज़्यादा मूल्य वर्धित (value-added) नहीं होते। कंपनी का स्पष्टीकरण है कि चाहे वीडियो आपके अपने ही हों, लेकिन अगर उनमें ‘पर्याप्त मौलिकता’, ‘रचनात्मक प्रयास’ और ‘शैक्षणिक मूल्य’ नहीं है, तो उन पर मोनटाइजेशन की अनुमति नहीं मिलेगी।

असली क्रिएटर्स को मिलेगा फायदा:

यूट्यूब का यह कदम असली क्रिएटर्स के लिए फायदेमंद साबित होगा। जिन चैनल्स पर मौलिक, अनूठा और मेहनत से तैयार किया गया कंटेंट होता है, उन्हें अब आगे बढ़ने और ज़्यादा कमाई करने का अवसर मिलेगा। इस नई नीति से ऐसे क्रिएटर्स को भी निराशा होगी जो आसानी से पैसा कमाने के लिए सस्ते और दोहराव वाले वीडियो बनाते हैं।

यूट्यूब चाहता है कि उसका प्लेटफॉर्म ‘रद्दी कंटेंट’ के ढेर के बजाय एक ‘ज्ञान और मनोरंजन’ का गुणवत्ता वाला पुस्तकालय बने। यह नीति ऐसे समय में आ रही है जब AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के इस्तेमाल से बड़े पैमाने पर कंटेंट तैयार किया जा रहा है, जिससे क्वालिटी बनाए रखना एक चुनौती बन गया है। अब यूट्यूब वीडियो के निर्माण के ‘क्वांटिटी’ (मात्रा) की बजाय उसकी ‘क्वालिटी’ (गुणवत्ता) को महत्व देगा।

क्रिएटर्स क्या करें?

क्रिएटर्स को सलाह दी जा रही है कि वे अपनी पहचान, अपनी स्टोरी, अपना अनुभव और अपनी अनूठी रचनात्मकता को वीडियो में लाएं। ऐसे वीडियो जो दर्शकों को सिखाते हैं, मनोरंजन करते हैं या उनके जीवन में किसी तरह का मूल्य जोड़ते हैं, वे भविष्य में भी मोनटाइजेशन के लिए फिट रहेंगे।