वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर देशभर में राजनीति गरमा गई है. अब सबकी निगाहें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू पर हैं. ये पार्टियां केंद्र में मोदी सरकार के साथ हैं. लेकिन क्या ये दोनों वक्फ बोर्ड बिल पर एनडीए का समर्थन करेंगे या नहीं, ये सवाल अब एक बयान के बाद खड़ा हो गया है.
बताया जा रहा है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने गुरुवार को दावा किया कि मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात की है, जिसमें दोनों नेताओं ने आश्वासन दिया है कि वे वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करेंगे।
पारित हुआ तो करेंगे विरोध
रहमानी ने यह भी कहा कि केंद्र को इस बिल को वापस लेना चाहिए और अगर यह बिल पारित कराने के लिए संसद में पेश किया गया तो इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा और हर लड़ाई कानून के दायरे में रहकर लड़ी जाएगी. रहमानी के अलावा, जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, जमात ए इस्लामी हिंद के अमीर सादुल्लाह हुसैनी, मरकजी जमीयत अहल हदीस के अध्यक्ष मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलाफी, पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजदीदी और पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल शामिल हैं। इलियास मौजूद रहे।
क्या बाकी नेता देंगे समर्थन?
यह पूछे जाने पर कि क्या जेडीयू और टीडीपी के नेताओं से भी मुलाकात की गई है और उनका रुख क्या है, रहमानी ने कहा कि हमने विभिन्न विपक्षी ताकतों के नेताओं से मुलाकात की है. चंद्रबाबू नायडू से भी मुलाकात की गई है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि वह इस बिल का विरोध करेंगे. बुधवार को नीतीश कुमार से भी मुलाकात की गई और उन्होंने भी आश्वासन दिया है कि वह इसका विरोध करेंगे. तेजस्वी यादव से भी मुलाकात की गई और उन्होंने भी आश्वासन दिया है कि वह इस बिल का विरोध करेंगे.
पर्सनल लॉ बोर्ड प्रमुख के मुताबिक, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरकार को वक्फ पर हाथ नहीं डालने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कई अन्य धर्मनिरपेक्ष पार्टियों और एनडीए की सहयोगी पार्टियों ने भी इस बिल का विरोध करने का आश्वासन दिया है.
क्या ये न्याय और अन्याय का मसला है?
नीतीश कुमार और नायडू से मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर रहमानी ने कहा कि हम इस बारे में क्षेत्र में नहीं बता पाएंगे. हम उनसे मिल चुके हैं. ये कोई हिंदू मुस्लिम का मसला नहीं है, ये न्याय और अन्याय का मसला है. इसलिए हम चाहते हैं कि भाजपा सहयोगियों सहित सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतें न्याय और धर्मनिरपेक्षता को ध्यान में रखते हुए हमारा समर्थन करें।
यहां बता दें कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस उस दिन हुई, जब वक्फ संशोधन बिल को लेकर संसद की संयुक्त समिति की पहली बैठक हुई थी. जमीयत अध्यक्ष अरशद मदनी ने आरोप लगाया कि मामला सिर्फ वक्फ का नहीं है बल्कि मुद्दा हिंदुस्तान के संविधान में अल्पसंख्यकों को दी गई आजादी का है जिसके खिलाफ मौजूदा सरकार काम कर रही है. उन्होंने कहा कि आज की सरकार अल्पसंख्यकों और उनके धर्म को सुरक्षित नहीं रहने देना चाहती. हम सरकार द्वारा अपनाये गये दृष्टिकोण का विरोध करते हैं। वक्फ के मामले में हर अल्पसंख्यक एकजुट है।