नई दुनिया: शीतला अष्टमी 2024: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, होली के 8 दिन बाद शीतला अष्टमी मनाई जाती है। यह दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसे बसोरा या बसोरा भी कहा जाता है. शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की पूजा करने की परंपरा है। इसके अलावा इस तिथि पर देवी को बासी भोजन का भोग भी लगाया जाता है। आइए जानते हैं ऐसा करने के पीछे क्या है धार्मिक और वैज्ञानिक कारण।
शीतला अष्टमी का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला माता को बासी भोजन बहुत पसंद है। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला की पूजा करने और बासी भोजन का भोग लगाने से चेचक, खसरा आदि से भी राहत मिलती है।
शीतला अष्टमी का वैज्ञानिक महत्व
शीतला अष्टमी का वैज्ञानिक महत्व भी है। यह त्यौहार तब मनाया जाता है जब सर्दी की विदाई और गर्मी के आगमन का समय होता है। ऐसे में यह दो ऋतुओं का संक्रमण काल है। इस दौरान आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। नहीं तो इसका असर आपकी सेहत पर पड़ेगा. ऐसा माना जाता है कि इस मौसम में ठंडा खाना खाने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। ऐसे में शीतला अष्टमी के दिन ठंडा खाना खाया जाता है।
इस तरह यह त्यौहार मनाया जाता है
बासौड़ा पर्व पर घरों में खाना पकाने के लिए आग का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसलिए बसोरा से एक दिन पहले मीठे चावल, रबड़ी, पुआ, हलवा, रोटी आदि पकवान बनाये जाते हैं. अगली सुबह वही बासी भोजन माता शीतला को अर्पित किया जाता है। इसके बाद इस भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.