‘आतंकवादियों पर जासूसी करने में क्या गलत है?’ पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, रिपोर्ट सार्वजनिक करने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले की पूरी जांच रिपोर्ट जारी करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा है कि रिपोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले भी शामिल हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा, ‘अगर किसी व्यक्ति को निजता को लेकर कोई डर है तो उसे अर्जी दाखिल करनी चाहिए। हम उन्हें इसके बारे में सूचित करने का प्रयास करेंगे।’ मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।

‘आतंकवादियों पर जासूसी करने में क्या गलत है?’: सुप्रीम कोर्ट 

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वकील ने सुनवाई के दौरान कहा, “सवाल यह था कि क्या सरकार के पास स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है और क्या वह इसका इस्तेमाल कर सकती है? अगर सरकार के पास यह है, तो कोई भी इसे इस्तेमाल करने से नहीं रोक सकता।” 

इस सवाल का जवाब देते हुए पीठ ने कहा, ‘अगर देश आतंकवादियों के खिलाफ स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रहा है, तो इसमें गलत क्या है?’ स्पाइवेयर का होना गलत नहीं है, सवाल यह है कि इसका इस्तेमाल किसके खिलाफ किया जा रहा है। देश की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। संविधान के तहत आम नागरिकों के निजता के अधिकार की रक्षा की जाएगी।’

राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएंगी 

इस मामले में पीठ ने कहा, ‘देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी कोई भी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी, लेकिन अगर कोई व्यक्तिगत रूप से जानना चाहता है तो उसे इसकी जानकारी दी जा सकती है।’ लेकिन इस रिपोर्ट को ऐसा दस्तावेज नहीं बनाया जाएगा जिस पर सड़कों पर भी चर्चा हो सके। अदालत ने इस संबंध में आगे कहा, ‘अदालत इस बात की जांच करेगी कि तकनीकी समिति की रिपोर्ट को किस हद तक संबंधित व्यक्ति के साथ साझा किया जा सकता है।’ 

 

क्या बात है आ?

पेगासस एक इज़रायली सॉफ्टवेयर है जिसका उपयोग मोबाइल फोन को हैक करने और निगरानी करने के लिए किया जाता है। वरिष्ठ पत्रकार एन राम, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास समेत पंद्रह याचिकाकर्ताओं ने 2021 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने पेगासस स्पाइवेयर से लोगों की जासूसी किए जाने की आशंका जताई थी। 

27 अक्टूबर 2021 को न्यायालय ने मामले की सत्यता की जांच के लिए 3 सदस्यीय तकनीकी समिति का गठन किया था। सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.वी. समिति की देखरेख के लिए नियुक्त किया गया है। रविन्द्रन को नियुक्त किया गया।

यह रिपोर्ट 2022 में आएगी। 

जांच समिति ने 2022 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। समिति द्वारा जांचे गए किसी भी मोबाइल फोन में पेगासस स्पाइवेयर नहीं पाया गया। समिति ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि लोगों ने उन्हें कुल 29 फोन दिए हैं। 5 को संदिग्ध मैलवेयर पाया गया, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी कि यह पेगासस था या नहीं। समिति ने भविष्य में लोगों की गोपनीयता की सुरक्षा के संबंध में कुछ सुझाव भी दिए।