अमेरिकी सांसद बेन कार्डिन ने भारत में हाल ही में लागू हुए नागरिकता संशोधन कानून-2019 पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि ‘रमजान के महीने में सीएए लागू होने से हमें भारतीय मुसलमानों की चिंता है.’ अमेरिकी सांसद ने कहा कि भारत को धर्म से परे मानवाधिकार के आधार पर ऐसा फैसला लेना चाहिए.
दरअसल, अमेरिकी सांसद बेन कार्डिन विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने भारत के सीएए को विवादास्पद कानून करार दिया है. उन्होंने कहा, ”मैं भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम के कार्यान्वयन को लेकर बहुत चिंतित हूं।” मैं विशेष रूप से भारतीय मुसलमानों पर इस कानून के प्रभाव को लेकर चिंतित हूं।’
अमेरिकी सांसद ने क्या कहा?
बेन कार्डिन ने कहा कि अमेरिका-भारत के मजबूत होते रिश्ते में यह जरूरी है कि हमारा सहयोग धर्म के आधार पर नहीं बल्कि मानवाधिकार के आधार पर हो. कार्डिन ने कहा कि सीएए लागू होने से भारत में मुसलमान काफी परेशान हैं, सबसे बुरी बात यह है कि यह कानून रमजान के महीने में लागू किया गया है. यह समझना जरूरी है कि इस कानून का भविष्य में भारत के मुसलमानों पर क्या असर होगा.
अमेरिकी सीनेटर कार्डिन से पहले अमेरिकी विदेश विभाग ने भी सीएए पर बयान जारी किया था. इसमें सीएए की भी आलोचना की गई, जिसके बाद भारत ने अमेरिका को फटकार लगाई और कहा कि गलत जानकारी पर आधारित अमेरिकी बयान अनुचित हैं। हालांकि, इस दौरान हिंदूपैक्ट ऑफ अमेरिका और ग्लोबल हिंदू हेरिटेज फाउंडेशन ने सीएए का समर्थन किया।
सीएए नागरिकता कानून
ग्लोबल हिंदू हेरिटेज फाउंडेशन के वीएस नायपॉल ने कहा कि सीएए पड़ोसी देशों में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का कानून है. उन्होंने कहा कि भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता है. जबरन धर्म परिवर्तन, हत्या, बलात्कार और तमाम तरह के अत्याचारों से तंग आकर भारत आये लोगों को अब उनका अधिकार मिल गया है। भारत सरकार ने भी कहा है कि इस कानून का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है. यह कानून पड़ोसी देशों से भागकर आए हिंदू, मुस्लिम, सिख और पारसियों को नागरिकता प्रदान करता है।