केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सात फरवरी को नये इनकम टैक्स बिल को मंजूरी दी

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में हंगामे के बीच 2025 का नया इनकम टैक्स बिल पेश किया। इसके साथ ही उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सात फरवरी को इस बिल को मंजूरी दी थी, जो छह दशकों पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेगा। अब सवाल उठता है कि इस नए बिल से टैक्सपेयर्स को किस प्रकार लाभ होगा और इसके लागू होने पर टैक्स स्लैब में क्या बदलाव होंगे। आइए जानते हैं इस बिल की खासियत और उससे जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब।

बिल की खासियत क्या है?

यह नया बिल प्रत्यक्ष कर कानूनों को अधिक स्पष्ट और समझने में आसान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें जटिल प्रावधान और वाक्यांशों से बचते हुए इसे सरल और स्पष्ट बनाया गया है। यह कानूनों को पढ़ने में आसानी प्रदान करेगा, अस्पष्टता को दूर करेगा और मुकदमेबाजी को कम करेगा। इस नए बिल में उन सभी संशोधनों और धाराओं को हटा दिया जाएगा, जो अब प्रासंगिक नहीं हैं। साथ ही, इसकी भाषा ऐसी होगी कि सामान्य लोग भी बिना कर विशेषज्ञ की मदद के इसे समझ सकेंगे।

क्या टैक्स स्लैब में बदलाव होगा?

नए बिल के लागू होने से टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। पुराने टैक्स रिजीम और नए टैक्स स्ट्रक्चर दोनों को पहले की तरह बनाए रखा गया है। नया टैक्स स्ट्रक्चर डिफॉल्ट रहेगा, और इसके स्लैब वही होंगे, जो बजट 2025 में वित्त मंत्री ने प्रस्तावित किए थे। यदि कोई व्यक्ति पुराने टैक्स स्ट्रक्चर को अपनाना चाहता है, तो उसे इसे खुद चुनना होगा।

क्या बदलाव हुए हैं?

  • नए बिल के तहत बिजनेस के लिए 44AD की लिमिट को 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया गया है, जबकि प्रोफेशनल्स के लिए इसे ₹50 लाख से बढ़ाकर ₹75 लाख कर दिया गया है।
  • टैक्स ऑडिट फाइलिंग की तारीख को 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दिया गया है।
  • टैक्स ऑडिट के दायरे में बदलाव को लेकर अटकलें थीं, लेकिन सेक्शन 515 (3)(b) में यह स्पष्ट किया गया कि अकाउंटेंट का मतलब केवल चार्टर्ड अकाउंटेंट से है, जिससे सीए समुदाय को राहत मिली है।

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अन्य अहम बदलाव:

  • अब “पिछला वर्ष” और “मूल्यांकन वर्ष” की अवधारणाओं को समाप्त कर दिया गया है, और इसे अब “कर वर्ष” कहा जाएगा, जिससे सामान्य व्यक्ति के लिए कर शब्दावली को समझना आसान होगा।
  • लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
  • 10 करोड़ तक के टर्नओवर वाले व्यवसायों को टैक्स ऑडिट राहत दी जा रही है, साथ ही डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

एनआरआई पर असर:

यह नया बिल अनिवासी भारतीयों (NRI) को भी प्रभावित करेगा। खासकर उन एनआरआई पर जो भारत में 15 लाख रुपये या उससे अधिक कमाते हैं, लेकिन अन्य देशों में टैक्स नहीं देते। ऐसे लोगों को अब कर उद्देश्यों के लिए “निवासी” के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, और उन्हें भारत में अपनी आय पर टैक्स का भुगतान करना होगा। यह कदम टैक्स खामियों को दूर करने और एनआरआई स्थिति का दुरुपयोग रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है।