नई दिल्ली: गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस और पंचतंत्र की कहानियां अब पूरी दुनिया में पहचानी जाती हैं। रामचरितमानस की सचित्र पांडुलिपियों और पंचतंत्र कथाओं की 15वीं शताब्दी की पांडुलिपि को यूनेस्को ने अपने ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रीजनल रजिस्टर’ में शामिल किया है। 2024 संस्करण में एशिया प्रशांत के 20 विरासत स्थल शामिल हैं, जिनमें रामचरित मानस और पंचतंत्र के साथ-साथ सहृदयलोक-लोकन पांडुलिपियां भी शामिल हैं।
पीआईबी के मुताबिक, रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में शामिल किया गया है। ये खबर हर भारतीय के लिए गर्व की बात है. यह देश की समृद्ध साहित्यिक विरासत और सांस्कृतिक विरासत की पुष्टि है।
यूनेस्को की यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब अयोध्या में भगवान राम का विशाल मंदिर बन चुका है और लाखों राम भक्त प्रतिदिन उनके रामलला के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.