मुंबई : महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि जब अपने ही उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाए थे, उस समय उस प्रस्ताव का सामना करने से पहले ही मैंने नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। ठाकरे ने कहा कि जिन लोगों को मेरे पिता ने और फिर मैंने सब कुछ दिया, उन लोगों ने ही मेरे विरुद्ध साजिश रची थी।
उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद गुरुवार को यहां पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। दरअसल, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते तो उनकी सरकार को वापस लाया जा सकता था।
इस पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि कानूनी तौर पर इस्तीफा देना गलती हो सकती है, लेकिन नैतिक रूप से जिस पार्टी को मेरे पिता ने सब कुछ दिया, उसके प्रति आस्था और अविश्वास मैं नहीं दिखा सकता था। अगर मैंने इस्तीफा नहीं दिया होता तो मैं दोबारा मुख्यमंत्री बन जाता, लेकिन यह मेरे लिए लड़ाई नहीं है। उनका लक्ष्य मुख्यमंत्री पद नहीं है, वे देश की और जनता की सेवा करना चाहते हैं। ठाकरे ने यह भी कहा है कि मेरी लड़ाई राज्य और देश के लिए है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों के निलंबन का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को सौप दिया है। अब अध्यक्ष को समयबद्ध तरीके से निष्पक्ष निर्णय लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की भूमिका पर भी आलोचना की है। इसलिए समय आ गया है, राज्यपाल पद रहे या न रहे, इसपर भी विचार करना चाहिए। राज्यपाल संवैधानिक पद है और इस पद पर रहने वाला अगर किसी नौकर की तरह काम करता है तो इससे पद पर कालिमा लगती है। इसलिए इस पद को समाप्त करने के बारे में भी विचार किया जाना चाहिए।