तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन एशिया के तीन देशों की चार दिवसीय यात्रा पर हैं, जिसका अंतिम पड़ाव पाकिस्तान होगा। इससे पहले, वे मलेशिया और इंडोनेशिया का दौरा कर चुके हैं। भारत भी इस दौरे पर कड़ी नजर बनाए हुए है, क्योंकि यह यात्रा उस समय हो रही है जब तुर्की और पाकिस्तान अपने संबंधों को विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से रक्षा और आतंकवाद निरोधक प्रयासों में, और मजबूत कर रहे हैं।
तुर्की-पाकिस्तान रक्षा सहयोग
हाल ही में पाकिस्तान ने तुर्की से नौसैनिक जहाज खरीदने के लिए एक समझौता किया है, जिससे दोनों देशों के सैन्य सहयोग को और बल मिला है। तुर्की ने पाकिस्तान की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसमें शामिल हैं:
- T129 ATAK हेलीकॉप्टर की आपूर्ति
- MILGEM-क्लास कोरवेट का सौदा
- ASELSAN और Roketsan जैसी तुर्की रक्षा कंपनियों द्वारा पाकिस्तान के साथ मिलकर उन्नत हथियारों का विकास
भारत की नजर और सुरक्षा चिंताएं
भारत तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य संबंधों पर विशेष रूप से सतर्क है। पाकिस्तान पर आतंकवादी नेटवर्कों को संरक्षण देने के आरोप लगे हैं, और यदि तुर्की पाकिस्तान के आतंकवाद-रोधी तंत्र को मजबूत करता है, तो यह सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। लेकिन अगर यह सहयोग उन तत्वों तक बढ़ता है जिन्हें भारत अपने लिए खतरा मानता है, तो इससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है।
तुर्की की BRICS में शामिल होने की मंशा
तुर्की की विदेश नीति में एक और बड़ा बदलाव BRICS में शामिल होने की उसकी कोशिश है। 79वें संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान, एर्दोगन ने कश्मीर का जिक्र नहीं किया, जबकि इससे पहले वे अक्सर इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। तुर्की अब भारत के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को भी मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
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भारत के लिए अवसर और चुनौतियां
तुर्की के BRICS में शामिल होने से भारत के लिए कुछ अवसर और कुछ चुनौतियां हो सकती हैं:
- इससे एर्दोगन को पाकिस्तान के प्रति अपनी नीतियों को संतुलित करना पड़ सकता है।
- लेकिन तुर्की की NATO सदस्यता और चीन के साथ बढ़ते संबंध BRICS के भीतर जटिलताएं भी पैदा कर सकते हैं।
भारत के लिए बढ़ती सुरक्षा चिंताएं
तुर्की-पाकिस्तान रक्षा संबंध भारत के लिए रणनीतिक चिंता का विषय बने हुए हैं।
- तुर्की द्वारा पाकिस्तान को नौसैनिक जहाजों की आपूर्ति
- संयुक्त सैन्य अभ्यास
- तुर्की की रक्षा कंपनियों द्वारा पाकिस्तान को ड्रोन (UAV) तकनीक की आपूर्ति, जो विषम युद्ध परिस्थितियों में इस्तेमाल हो सकती है
इन सब पहलुओं को देखते हुए, भारत को तुर्की की इस कूटनीतिक गतिविधि पर नजर बनाए रखनी होगी, ताकि अपनी सुरक्षा और रणनीतिक हितों की रक्षा की जा सके।