डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी वैश्विक रणनीति तेजी से आकार ले रही है। हाल ही में ट्रंप ने दुनिया के दूसरे सबसे शक्तिशाली देश के मुखिया से डेढ़ घंटे फोन पर बातचीत की, और यह वार्ता ऐसे समय में हुई जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं।
👉 क्या यह सिर्फ एक संयोग है, या ट्रंप का रणनीतिक कदम?
👉 क्या ट्रंप, भारत और रूस को साथ लेकर चीन के खिलाफ एक नया मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं?
मोदी-ट्रंप मुलाकात: भारत-अमेरिका संबंधों में नया मोड़
गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की मेजबानी करेंगे। यह उनकी पहली द्विपक्षीय वार्ता होगी, जिसमें कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी:
🔹 द्विपक्षीय व्यापार और निवेश
🔹 ऊर्जा सहयोग
🔹 रक्षा और सुरक्षा साझेदारी
🔹 आव्रजन और तकनीकी क्षेत्र में सहयोग
इस बैठक से भारत और अमेरिका के रिश्तों को और मजबूत करने की उम्मीद है। लेकिन सबसे ज्यादा चिंता चीन को हो रही है, क्योंकि ट्रंप अब खुले तौर पर बीजिंग के खिलाफ आक्रामक नीति अपना रहे हैं।
ट्रंप की कूटनीति: भारत और रूस के साथ मिलकर चीन को घेरने की तैयारी?
चीन के खिलाफ ट्रंप का मोर्चा: व्यापार युद्ध से भू-राजनीतिक टकराव तक
ट्रंप ने रूस और भारत को साथ लेकर चीन पर दबाव बढ़ाने की योजना बनाई है। उनका उद्देश्य:
✅ चीन को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करना
✅ उसके क्षेत्रीय प्रभाव और आर्थिक वर्चस्व को कमजोर करना
✅ उसकी व्यापारिक दादागिरी पर लगाम लगाना
👉 चुनावी अभियान के दौरान ट्रंप ने साफ कर दिया था कि वे चीन को उसकी जगह दिखाएंगे।
👉 राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने चीन पर 10% टैरिफ लगाकर इसे और स्पष्ट कर दिया।
👉 इसके जवाब में चीन ने अमेरिका से आयात होने वाले कोयला और गैस पर 15% का टैक्स लगा दिया, जिससे व्यापार युद्ध और तेज हो गया।
अब सवाल यह है कि क्या ट्रंप, भारत और रूस के साथ मिलकर चीन पर और दबाव डालेंगे?
भारत को अपने साथ क्यों ले रहा है अमेरिका?
चीन के सबसे भरोसेमंद दोस्त रूस को अमेरिका अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहा है।
👉 अमेरिका चाहता है कि रूस, चीन के बजाय उसके साथ खड़ा हो।
👉 इसके लिए ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को वॉशिंगटन बुलाने का न्योता दिया है।
👉 ट्रंप, रूस को यह याद दिला रहे हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय अमेरिका और रूस सहयोगी थे।
भारत की भूमिका:
✅ भारत पहले से ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन का बड़ा प्रतिद्वंद्वी है।
✅ भारत क्वाड (QUAD) का सदस्य है, जिसे चीन अपने खिलाफ एक गठबंधन मानता है।
✅ अगर भारत, अमेरिका और रूस मिलकर काम करते हैं, तो चीन के लिए यह एक बड़ा झटका होगा।
बाइडेन प्रशासन में रूस और अमेरिका के रिश्ते क्यों बिगड़े?
जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान अमेरिका और रूस के रिश्ते सबसे खराब दौर में पहुंच गए।
❌ यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए।
❌ इन प्रतिबंधों के कारण रूस को चीन की ओर झुकना पड़ा।
❌ रूस और चीन की साझेदारी मजबूरी में बढ़ी, लेकिन दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह भरोसा नहीं करते।
👉 ट्रंप को पता है कि रूस भी चीन को पूरी तरह भरोसेमंद साथी नहीं मानता।
👉 अगर अमेरिका रूस को अपनी ओर कर लेता है, तो चीन को एक बड़ा झटका लगेगा।