The secret of the origin of Belpatra: जब मां पार्वती की तपस्या से प्रकट हुआ दिव्य वृक्ष

The secret of the origin of Belpatra:  जब मां पार्वती की तपस्या से प्रकट हुआ दिव्य वृक्ष
The secret of the origin of Belpatra: जब मां पार्वती की तपस्या से प्रकट हुआ दिव्य वृक्ष

The secret of the origin of Belpatra: News India live, Digital Desk : शिव की पूजा बेलपत्र के बिना अधूरी मानी जाती है। सावन के महीने में तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर एक साधारण सा दिखने वाला यह पत्ता भोलेनाथ को इतना प्रिय क्यों है? इसके पीछे एक बहुत ही सुंदर और दिव्य कहानी है, जो सीधे माता पार्वती से जुड़ी है।

मां पार्वती के पसीने से हुई बेल वृक्ष की उत्पत्ति

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती मंदार पर्वत पर भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं। उनकी तपस्या इतनी घोर थी कि उनके माथे से पसीने की कुछ बूंदें धरती पर गिर गईं।

मान्यता है कि मां पार्वती के उन्हीं पसीने की बूंदों से एक वृक्ष का जन्म हुआ, जिसे हम आज ‘बेल वृक्ष’ के नाम से जानते हैं। चूंकि यह वृक्ष माता पार्वती के अंश से उत्पन्न हुआ था, इसलिए इसमें उनके सभी रूप समाए हुए हैं।

पेड़ के हर हिस्से में है मां पार्वती का वास

यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि बेल के पेड़ के सिर्फ पत्तों में ही नहीं, बल्कि हर एक हिस्से में मां पार्वती का वास माना जाता है:

  • जड़ों में: मां का ‘गिरिजा’ स्वरूप

  • तने में: मां का ‘माहेश्वरी’ स्वरूप

  • शाखाओं में: मां का ‘दाक्षायनी’ स्वरूप

  • पत्तों में: मां का ‘पार्वती’ स्वरूप

  • फूलों में: मां का ‘गौरी’ स्वरूप

इतना ही नहीं, कहा जाता है कि बेल के पेड़ के कांटे भी साधारण नहीं हैं, उनमें भी मां की शक्ति का वास है।

जहां पार्वती, वहां शिव

अब जहां साक्षात मां पार्वती का वास हो, वहां भगवान शिव न हों, ऐसा कैसे हो सकता है? मान्यता है कि बेल के पेड़ की जड़ों में स्वयं महादेव निवास करते हैं। यही कारण है कि जो कोई भी बेल के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करता है, उसे सभी तीर्थों में स्नान करने जैसा पुण्य फल प्राप्त होता है।

इस तरह, पूरा बेल का पेड़ ही साक्षात शिव-पार्वती का रूप है। इसलिए जब आप शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं, तो आप सिर्फ एक पत्ता नहीं, बल्कि मां पार्वती का प्रेम और साक्षात शिव-शक्ति का अंश अर्पित कर रहे होते हैं। यही वजह है कि भोलेनाथ बेलपत्र चढ़ाने वाले भक्त से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

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