चिंतन शिविर की धारणाएं भले ही अलग हों लेकिन परिणाम गणित के उदाहरण की तरह एक एवं सटीक होता हैः मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल

एकतानगर/अहमदाबाद, 19 मई (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने शुक्रवार को नर्मदा जिले के केवडिया स्थित एकतानगर-स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में राज्य सरकार के 10वें चिंतन शिविर का उद्घाटन किया। उन्होंने इस मौके पर कहा कि मैं नहीं, हम के भाव के साथ आयोजित होने वाला यह चिंतन शिविर गर्वनेंस में बड़े बदलाव लाने में सक्षम हो पाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चिंतन शिविर के लिए धारणाएं भले ही अलग हों लेकिन परिणाम गणित के उदाहरण की तरह एक और सटीक होता है, जिसमें गणना का जवाब एक ही आता है। उन्होंने कहा कि ऐसे चिंतन शिविर में जब हम सभी के मंथन की दिशा एक होती है, तब ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना अवश्य ही चरितार्थ होती है।

मुख्यमंत्री ने शिविर की शुरुआत में प्रस्तुत मनुष्य गौरव गान- ‘मनुष्य तू बड़ा महान है’ के भाव का अनूठी शैली में वर्णन करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति में कुछ करने का भाव होता है, ‘मुझे भी कुछ बेहतर करना है’ ऐसी चाह होती है, तो परिणाम अवश्य ही मिलता है। उन्होंने इस संबंध में रामसेतु के निर्माण में एक छोटी सी गिलहरी और जंगल में लगी आग को बुझाने में चोंच में पानी भरकर ले जाने वाली चिड़िया के योगदान का भावनात्मक उदाहरण दिया। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि ऐसी चर्चाओं के दौरान यह आवश्यक है कि विचारों की अभिव्यक्ति खुले मन से हो, अन्यथा योजनाओं और विकास कार्यों का धरातल पर समुचित तरीके से अमल नहीं हो पाएगा।

तब राजनीति में विकास शब्द का नहीं था स्थान

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन में आने से पहले राजनीति में विकास शब्द का कोई स्थान नहीं था। अब प्रधानमंत्री के चलते विकास की राजनीति विकसित हुई है, विकास के आधार पर ही जनाधार और जनमत का निर्माण हो रहा है। अलग-अलग राज्यों के बीच विकास के मामले में तुलना और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो रही है। पटेल ने आगे कहा कि सरदार पटेल ने आजादी के बाद भारत को एक सूत्र में पिरोया, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उसे श्रेष्ठ बनाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को साकार करने के लिए देश के राज्यों के बीच उनकी अच्छी बातों का परस्पर आदान-प्रदान करने की व्यवस्था विकसित की है। उन्होंने सौराष्ट्र तमिल संगम और माधवपुर घेड के मेले को इसका अच्छा उदाहरण बताते हुए कहा कि इसके परिणामस्वरूप गुजरात और अन्य राज्यों के बीच सांस्कृतिक मामलों के साथ-साथ व्यापार-वाणिज्य का विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि जो अच्छा है, उसका लाभ सभी लोगों को मिले। प्रधानमंत्री की मंशा इस तरह ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण की है।

जनता की आकांक्षाओं को समझे अधिकारी : कनुभाई देसाई

वित्त मंत्री कनुभाई देसाई ने मंत्रियों और अधिकारियों-कर्मचारियों को राज्य के प्रशासन से जुड़े सेवा समर्पित कर्मयोगी करार देते हुए कहा कि नागरिकों की आशा, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को समझकर योजना बनाना और बनी हुई योजनाओं का लाभ अंतिम लाभार्थी तक पहुंचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। मुख्य सचिव राज कुमार ने इससे पूर्व आयोजित हुए चिंतन शिविरों की यादें ताजा करते हुए कहा कि पहले के चिंतन शिविर में हुई चर्चा के आधार पर जो सिफारिशें की गईं, उस पर निर्णय लेने से प्रशासन में काफी गति आई है। उन्होंने चिंतन शिविर का एजेंडा निर्धारित करने के लिए किए गए मनोमंथन की गुणवत्ता की प्रशंसा की और संबंधित अधिकारियों को बधाई दी। गत पांच-छह वर्षों में हुई अहम घटनाओं पर प्रकाश डालते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित किए गए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को हासिल करने के लिए तथा कॉन्फ्रेंस ऑफ पेरिस में 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने की भारत की प्रतिज्ञा को सार्थक करने के लिए इस चिंतन शिविर में सभी को विचार-मंथन करना होगा।

इस अवसर पर प्रधान सचिव मोहम्मद शाहिद, राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव के. कैलाशनाथन और मुख्यमंत्री के सलाहकारों सहित वरिष्ठ सचिव एवं प्रशासनिक अधिकारियों समेत कुल 230 लोग मौजूद रहे।

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