Temple Etiquette : पूजा का पूरा फल चाहिए,तो मंदिर में जाते वक्त बाल को लेकर इस नियम का करें पालन

Temple Etiquette : पूजा का पूरा फल चाहिए,तो मंदिर में जाते वक्त बाल को लेकर इस नियम का करें पालन
Temple Etiquette : पूजा का पूरा फल चाहिए,तो मंदिर में जाते वक्त बाल को लेकर इस नियम का करें पालन

News India Live, Digital Desk: Temple etiquette : मंदिर जाना हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है, जहां जाकर हमें शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि मंदिर जाते समय हमारे व्यवहार या पहनावे से जुड़े कुछ नियम क्यों बनाए गए हैं? ऐसा ही एक नियम है मंदिर में महिलाओं का खुले बालों के साथ प्रवेश न करना। अक्सर आपने देखा होगा कि बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि मंदिर में बाल बांधकर ही जाना चाहिए, खासकर महिलाओं को। इसके पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं हैं, जो ऊर्जा और मन की शांति से जुड़ी हैं।

तो आखिर क्यों नहीं जाना चाहिए मंदिर में खुले बालों में?

  1. नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश:
    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खुले बाल नकारात्मक ऊर्जा को जल्दी आकर्षित करते हैं। जब हम मंदिर जैसे पवित्र स्थान पर जाते हैं, तो वहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऐसे में खुले बाल अगर होते हैं, तो वे बाहरी नकारात्मक शक्तियों को खींच सकते हैं, जिससे पूजा का फल कम हो सकता है और घर में भी बुरी शक्तियां आ सकती हैं। यह एक तरह से सुरक्षा कवच को हटाने जैसा माना जाता है।

  2. मानसिक एकाग्रता और मर्यादा:
    मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां हम पूरी तरह से ईश्वर के प्रति समर्पित होकर ध्यान लगाते हैं। खुले बाल कई बार पूजा के दौरान ध्यान भटका सकते हैं, चाहे वे हवा में उड़ें, चेहरे पर आएं या किसी और कारण से। बंधे हुए बाल मन को अधिक एकाग्र और शांत रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, भारतीय संस्कृति में धार्मिक स्थलों पर बालों को बांधकर रखना सम्मान और मर्यादा का प्रतीक माना जाता है। यह भगवान के प्रति विनय और नम्रता दिखाता है।

  3. स्वास्थ्य और स्वच्छता का भी कारण:
    साफ-सफाई और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी यह एक कारण हो सकता है। मंदिर परिसर में कई लोग आते हैं और जब बाल खुले होते हैं तो उनके टूटने और गिरने की संभावना ज़्यादा होती है। गिरे हुए बाल गंदगी फैलाते हैं, और किसी पवित्र स्थान पर यह अच्छा नहीं माना जाता। प्राचीन काल से ही साफ-सफाई को पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है।

  4. मन पर प्रभाव:
    मनोवैज्ञानिक रूप से भी देखें तो, बालों को बांधकर रखना एक तरह से अनुशासन और व्यवस्थित होने का प्रतीक है। यह मन को शांत और केंद्रित रहने का संकेत देता है, जो ध्यान और प्रार्थना के लिए ज़रूरी है।

इसलिए, अगली बार जब भी आप मंदिर जाएं, तो इस बात का ध्यान ज़रूर रखें। मंदिर के नियमों का पालन करने से न सिर्फ आप एक प्राचीन परंपरा का सम्मान करते हैं, बल्कि इससे आपको अपनी पूजा में अधिक सकारात्मकता और शांति महसूस होती है, और घर में भी सुख-समृद्धि का वास होता है।

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