बार एसोसिएशन में आरक्षण की मांग पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: गंभीर मुद्दा, लेकिन विभाजन नहीं चाहते

New Delhi India May 7 2024

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के बार एसोसिएशन में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए कोटा देने की मांग को गंभीर और महत्वपूर्ण करार दिया है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह ऐसा कोई आदेश पारित नहीं कर सकता जिससे समाज जाति और धर्म के आधार पर विभाजित हो जाए।

शुक्रवार को कर्नाटक के कुछ वकीलों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि बार एसोसिएशन में सामाजिक विविधता जरूरी है, लेकिन यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि वे राजनीतिक मंच न बनें।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “यह एक गंभीर मुद्दा है और हमें इसे सुलझाना होगा, लेकिन हम यह नहीं चाहते कि बार एसोसिएशन जाति और धर्म के आधार पर विभाजित हों या राजनीतिक मंच बनें।”

यह याचिका अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग अधिवक्ता संघ और कर्नाटक एससी/एसटी पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक अधिवक्ता महासंघ द्वारा दायर की गई थी। इसमें बेंगलुरु एडवोकेट एसोसिएशन (AAB) के शासी निकाय में SC/ST और OBC वर्ग के वकीलों के लिए आरक्षण की मांग की गई थी।

याचिका का पृष्ठभूमि
इससे पहले, याचिकाकर्ताओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट में AAB की गवर्निंग काउंसिल में महिलाओं के लिए 30% आरक्षण सुनिश्चित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए समानता की मांग की थी। हालांकि, हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी, जिसके बाद यह याचिका शीर्ष अदालत में दायर की गई।