निजी अस्पतालों की खुली लूट पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार, केंद्र सरकार को दिया सख्त निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा: पिछले कई सालों में निजी अस्पताल खुलेआम लूट की तरह मरीजों से अंधाधुंध पैसा वसूल रहे हैं, जिससे लोग आर्थिक रूप से बर्बाद हो गए हैं, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करने को कहा है।

केंद्र अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता: सुप्रीम कोर्ट

गौरतलब है कि नियमों के तहत राज्यों से परामर्श के बाद महानगरों, शहरों और कस्बों में बीमारियों के इलाज और इलाज के लिए मानक दरों की अधिसूचना जारी करना अनिवार्य है। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सरकार ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि ‘सरकार ने इस मुद्दे पर राज्यों को कई पत्र लिखे हैं, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला है.’ इस मामले में कोर्ट ने कहा कि ‘नागरिकों को अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना मौलिक अधिकार है और केंद्र अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता.’ अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को मानक दरों की अधिसूचना जारी करने के लिए एक महीने के भीतर राज्य स्वास्थ्य सचिवों के साथ बैठक करने को भी कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दी चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर केंद्र सरकार इस मुद्दे को हल करने में विफल रहती है, तो हम देश भर में मरीजों के इलाज के लिए सीजीएसएच-निर्धारित सरकारी दरें लागू करने की याचिकाकर्ता की याचिका पर विचार करेंगे। उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य देखभाल हर नागरिक के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन निजी अस्पताल मनमाने ढंग से फीस वसूल रहे हैं, जिससे मरीजों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है।

एनजीओ की ओर से एक जनहित याचिका दायर की गई थी

‘वेटरन्स फोरम फॉर ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक लाइफ’ नामक एनजीओ ने वकील दानिश जुबैर खान के माध्यम से जनहित याचिका दायर की। जिसमें केंद्र को ‘क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट (केंद्र सरकार) नियम, 2012’ के नियम 9 के अनुसार मरीजों से ली जाने वाली फीस की दर तय करने का निर्देश देने की मांग की गई है। इस नियम के तहत सभी अस्पतालों को अपने सेवा शुल्क की जानकारी स्थानीय भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी में भी देनी होगी।