दिल्ली में सरकार द्वारा संचालित एम्स अस्पताल ने एक बयान में कहा कि डॉक्टरों ने तीन महीने के बच्चे के दोनों गुर्दे में रुकावट को दूर करने के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की। एम्स का दावा है कि दुनिया में पहली बार इतने छोटे बच्चे की इस तरह की सर्जरी की गई है।
एम्स के बाल रोग विभाग के मुताबिक, इस सर्जरी के लिए बच्चे की नाभि के पास शरीर में तीन एमएम का छेद वाला कैमरा और अन्य सर्जिकल उपकरण डाले गए और एक-एक करके दोनों किडनी का ऑपरेशन किया गया।
यह बच्चा इस प्रक्रिया से गुजरने वाला दुनिया का सबसे कम उम्र का बच्चा है। सर्जिकल टीम ने बारीक टांके और बारीक उपकरणों का उपयोग करके अवरुद्ध मूत्र पथ (यूरोपेल्विक जंक्शन) को ध्यान से फिर से बनाया।
करीब दो घंटे तक चली सर्जरी के बाद बच्चे में तेजी से सुधार हुआ और तीन दिनों में उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई। दिसंबर 2022 में बच्चे का ऑपरेशन हुआ था ।
सर्जरी के चार महीने बाद जब बच्चे को दोबारा फॉलोअप के लिए बुलाया गया तो जांच में पता चला कि उसकी दोनों किडनी ठीक से काम कर रही हैं। बच्चा अब सात महीने का हो गया है और भविष्य में गुर्दे की बीमारी होने की कोई संभावना नहीं है।
लैप्रोस्कोपिक पाइलोप्लास्टी प्रक्रिया एक न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल तकनीक है। इसका उपयोग यूरोपेल्विक जंक्शन बाधा (यूपीजेओ) के इलाज के लिए किया जाता है। इस स्थिति में बच्चे का मूत्रमार्ग जन्म से ही बाधित हो जाता है और गुर्दे से मूत्राशय तक मूत्र के प्रवाह में समस्या होती है। ऐसे में बच्चे की दोनों किडनियों में रुकावट आ गई थी.