मथुरा, 14 मार्च (हि.स.)। वृंदावन नगर में रंगनाथ के दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव अंतर्गत मंगलवार को रंगनाथ भगवान मोहिनी रूप धारण कर चांदी की पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन दिए। भक्तों ने ठाकुर जी की आरती उतार कर स्वागत किया। पूरा मंदिर ठाकुरजी के जयकारों से गूंजायमान हो उठा।
मंगलवार को ठाकुरजी मोहिनी रूप धारण कर चांदी की पालकी में सवार होकर भक्तों को कृतार्थ करने निकले। निज गर्भगृह से बाहर निकलकर जब पालकी बारहद्वारी में विराजमान हुई तो वैदिक परंपरानुसार कुंभ आरती उतारी गई। मृदंग, शहनाई की मधुर ध्वनि के साथ हुई आरती के दर्शनों से आल्हादित भक्तों द्वारा रंगनाथ भगवान की जयघोष से मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा। मंदिर परिसर से बाहर निकलकर पालकी की सवारी प्रमुख मार्गों से होती हुई रंगजी का बड़ा बगीचा पहुंची। जहां विश्राम के उपरांत श्रीवैष्णवीय परंपरा से जुड़े मंदिरों में भी पालकी की सवारी दर्शनों के लिए पधारी। भक्तों द्वारा जगह-जगह आरती उतारकर स्वागत किया गया।
मंगलवार शाम सेवायत पुरुषोत्तम स्वामी ने बताया कि मान्यतानुसार समुद्र मंथन के समय भगवान ने मोहिनी रूप धारण कर दानवों की मति भ्रमित कर दी थी। प्रभु के इस अलौकिक छवि के दर्शन कर भक्त मोहमाया से विरत होकर भक्ति के मार्ग की ओर अग्रसर होता है। प्रभु के इस स्वरूप के दर्शन मात्र से भक्त भयमुक्त होकर भगवान की शरणागत होता है। भगवान रंगनाथ की मोहिनी स्वरूप दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी पूरा मेला परिसर भगवान रंगनाथ के जयकारों से गुंजायमान हो रहा था।