कहीं आपकी ये गलतियाँ बच्चों को झूठ बोलने पर तो मजबूर नहीं कर रहीं? माँओं की 5 आदतें जो पिता की डांट को भी बना देती हैं बेकार!

कहीं आपकी ये गलतियाँ बच्चों को झूठ बोलने पर तो मजबूर नहीं कर रहीं? माँओं की 5 आदतें जो पिता की डांट को भी बना देती हैं बेकार!
कहीं आपकी ये गलतियाँ बच्चों को झूठ बोलने पर तो मजबूर नहीं कर रहीं? माँओं की 5 आदतें जो पिता की डांट को भी बना देती हैं बेकार!

Mothers’ parenting mistakes : हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे ईमानदार हों, सच बोलें और भरोसेमंद बनें। लेकिन कभी-कभी, अनजाने में, हमारी अपनी कुछ आदतें और व्यवहार बच्चों को झूठ बोलने की ओर धकेल सकते हैं। जब बच्चे अपनी माँ से डर या झिझक के कारण सच नहीं बोलते, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है क्योंकि इससे पिता की सख्ती या समझाने का प्रयास भी बेकार हो जाता है। आइए जानते हैं माँओं की ऐसी 5 आम गलतियाँ जो बच्चों को झूठ बोलने के लिए उकसा सकती हैं:

  1. छोटी सी गलती पर भी ज़्यादा गुस्सा या सज़ा देना: जब बच्चे गलती करते हैं, खासकर छोटी-मोटी गलतियाँ, और उन्हें पता होता है कि माँ का रिएक्शन बहुत ज़्यादा नकारात्मक होगा (जैसे चिल्लाना, मारना या बहुत डांटना), तो वे उस सज़ा से बचने के लिए सच छुपाने या झूठ बोलने लगते हैं। उन्हें डर लगता है कि सच बताने पर वे ज़्यादा मुश्किल में पड़ जाएंगे।

  2. बच्चे की बात ध्यान से न सुनना या अनदेखा करना: कई बार माँएं बच्चों की बातों या चिंताओं को हल्के में लेती हैं या उनकी बात पूरी सुने बिना ही जवाब दे देती हैं। जब बच्चों को लगता है कि उनकी भावनाओं या उनकी बात का कोई मतलब नहीं है, तो वे अपनी बातें बताने के बजाय झूठ का सहारा ले सकते हैं। उन्हें लगता है कि शायद सच చెప్పడానికి কেউ শুনবে না, তাই মিথ্যা বলাই ভালো। (अनुवादित: उन्हें लगता है कि सच कहने पर कोई सुनेगा ही नहीं, इसलिए झूठ बोलना ही बेहतर है।)

  3. गलत या असंभव उम्मीदें रखना: यदि माता-पिता बच्चों से हमेशा परफेक्ट रहने की उम्मीद रखते हैं या उन्हें असफल होने की कोई गुंजाइश नहीं देते, तो बच्चे फेल होने पर या गलती करने पर सच नहीं बताते। वे डरते हैं कि अगर उनकी कमीज़ पर दाग लगा (गलती की), तो डांट पड़ेगी, इसलिए वो दाग को छुपाने के लिए झूठ बोल देते हैं।

  4. खुद के वादे न निभाना या दोहरा व्यवहार रखना (पाखंड): अगर माँ खुद छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलती हैं, अपने वादे पूरे नहीं करतीं या बच्चों को जो करने से मना करती हैं, खुद वो काम करती हैं, तो बच्चे भी इसे सीख जाते हैं। वे अपने पेरेंट्स को आदर्श मानते हैं, और अगर उन्हें व्यवहार में विरोधाभास दिखता है, तो वे भी वैसा ही कर सकते हैं।

  5. डर का माहौल बनाना या भरोसा न जताना: जिस घर में बच्चों को अपनी बात कहने की आज़ादी नहीं होती, जहाँ उन्हें हर बात के लिए डांट का डर रहता है, वहाँ बच्चे सच कहने से कतराते हैं। उन्हें लगता है कि माँ शायद उन्हें समझेगी नहीं या उनकी बात पर विश्वास नहीं करेगी। ऐसे में वे झूठ को ही सुरक्षित रास्ता मान लेते हैं।

जब बच्चे अपनी माँ से सच छुपाना शुरू कर देते हैं, तो पिता के लिए भी स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाता है। अगर पिता सख्ती से पेश आते हैं, तो बच्चा और भी ज़्यादा झूठ के जाल में फंस सकता है या माँ का पक्ष लेने लग सकता है। बच्चों को ईमानदार बनाने के लिए, एक ऐसा माहौल बनाना ज़रूरी है जहाँ वे गलतियाँ करने पर भी अपनी माँ और पिता से सच बोलने में सुरक्षित महसूस करें।