नींद की समस्या: केवल यह नहीं है कि आप कितनी देर सोते हैं, बल्कि यह भी महत्वपूर्ण है कि आप कितनी देर सोते हैं। क्या हम रोज एक ही समय पर सोने जाते हैं? या एक दिन रात को 11 बजे.. दूसरे दिन 12 बजे.. दूसरे दिन आधी रात को 1 बजे.. क्या हम गलत सो रहे हैं? जानकारों का कहना है कि यह और भी जरूरी है। अनिद्रा.. शोधों में चेतावनी दी गई है कि सोने की गलत आदतों से दिल का दौरा, स्ट्रोक और पैर की रक्त वाहिकाओं में थक्के जमने का खतरा होता है। अध्ययनों से पता चला है कि तनाव और चिंता खाने के विकार भी पैदा कर सकते हैं। इसी वजह से ताजा शोधों में यह बात सामने आई है कि हार्ट फेलियर की समस्या से पीड़ित होने के आसार हैं।
नींद की कमी से ह्रदय की लय को खतरा..
क्या रक्त वाहिकाओं में नींद और प्लाक के बीच कोई संबंध है? इस लिहाज से अमेरिका की ‘वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल सेंटर’ के शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया है। इससे जुड़ा एक शोध पत्र हाल ही में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ था। 45 साल से अधिक उम्र के 2000 लोगों पर तीन साल तक अध्ययन किया गया। उनकी कलाई में एक उपकरण बंधा हुआ था। उम किस समय सोते हो? आप रात को कितनी देर सोए? आप कब तक जाग रहे हैं? यह सब इस डिवाइस द्वारा रिकॉर्ड किया जाता है। उन सभी में ये आइटम लगातार सात दिनों तक दर्ज किए गए थे। इस शोध में दिलचस्प बिंदु मिले।
– नियमित सोने के समय में कम से कम 90 मिनट का अंतर पाया गया। यानी अगर वह एक दिन 10 बजे, अगले दिन 11 बजे, अगले दिन 12 बजे सोने जाता है तो औसत अंतर 90 मिनट से ज्यादा होता है।
– हर दिन एक निश्चित समय पर सोने के बजाय पता चला कि वह अलग-अलग समय पर सोता है। एक सप्ताह में 90 मिनट से अधिक के औसत अंतर वाले लोगों को असामान्य माना जाता है। जब उन पर परीक्षण किए गए, तो पता चला कि हृदय, मस्तिष्क और पैरों की मुख्य रक्त वाहिकाओं में थक्के बन गए हैं। इस प्रकार, शोधकर्ताओं ने पाया कि खराब नींद और रक्त वाहिकाओं में थक्के के बीच एक अटूट संबंध है। विशेषज्ञों ने अध्ययन के परिणामों के आधार पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
छह घंटे की नींद है अनिवार्य..
– रोजाना कम से कम 6-7 घंटे की निर्बाध नींद जरूरी है।
– हर दिन लगभग एक ही समय पर सोना भी बहुत जरूरी है।
– हर दिन एक ही समय पर सोने के अलावा 10-15 मिनट का समय ठीक है, लेकिन 2 घंटे से ज्यादा का अंतर बिल्कुल भी अच्छा नहीं है।
– किसी भी समय नींद में खलल न पड़े, इसके लिए पहले से ही इंतजाम कर लेने चाहिए।
मानसिक तनाव दिल पर बोझ है।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में कहा गया है कि न केवल हम क्या खाते हैं, बल्कि हम क्यों खाते हैं इसका भी हृदय स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। एक और रिसर्च में सामने आया कि हम कितने शांति से खाना खाते हैं यह भी बहुत मायने रखता है। भूख लगने पर खाना तो हर कोई करता है। लेकिन चिंता, तनाव और अवसाद से ग्रस्त कुछ लोग जब भी कुछ नहीं महसूस करते हैं तो जितना खा सकते हैं खा लेते हैं। ज्यादा खाना बेकार है..
फ्रांस में नैन्सी के यूनिवर्सिटी अस्पताल के प्रोफेसरों ने 1,109 लोगों पर द्वि घातुमान खाने का अध्ययन किया। इनकी औसत उम्र 45 साल है। अध्ययन हाल ही में यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ था। आम तौर पर हृदय की रक्त वाहिकाएं संकुचित और फैली हुई होती हैं। हालांकि, मनोवैज्ञानिक समस्याओं के कारण हृदय की रक्त वाहिकाओं में फैलाव की प्रक्रिया धीमी हो गई। नतीजतन, यह पाया गया कि समय के साथ-साथ ब्लड प्रेशर बढ़ने के साथ-साथ हार्ट फेल होने की समस्या भी पैदा हो रही है। 13 साल के शोध में इस अहम बिंदु की पुष्टि हुई है।