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धर्म

Shrawan 2022 Jalabhishek: श्रावण में भी है शिवलिंग पर जल चढ़ाने का नियम, जानिए भोलेनाथ को प्रसन्न करने का उपाय

citycrimebranch
Published August 1, 2022
Last updated: 2022/08/01 at 9:27 PM
3 Min Read
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शिवलिंग जलाभिषेक विधि: श्रावण का महीना शुरू हो गया है। आज श्रावण मास का पहला सोमवार है। भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए अभिषेक करते हैं। भक्त उनका पंचामृत, दूध या जल से अभिषेक करते हैं। लेकिन भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाने के कुछ नियम हैं। यदि इस नियम के अनुसार शिव का अभिषेक किया जाता है, तो वे भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं। आइए जानते हैं शिव को जल अभिषेक करने के नियम।

शिवजी के अभिषेक के लिए यह पात्र

जिस प्रकार पूजा के लिए जल की शुद्धता आवश्यक है, उसी प्रकार पूजा की पवित्रता भी आवश्यक है। यानी शिव को जल चढ़ाते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें किस कलश का जल चढ़ाया जाए। शिवाभिषेक के लिए तांबे के बर्तन सबसे अच्छे माने जाते हैं। कांसे या चांदी के बर्तन से भी अभिषेक करना शुभ माना जाता है।लेकिन गलती से भी स्टील के बर्तन से शिव का अभिषेक नहीं करना चाहिए। इसी तरह तांबे के बर्तन से दूध का अभिषेक भी अशुभ माना जाता है।

सही दिशा का महत्व

 

महादेव को जल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी पूर्व की ओर मुंह न करें। पूर्व दिशा को भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिशा में मुख करने से शिव के द्वार में बाधा उत्पन्न होती है और वह क्रोधित भी हो सकते हैं। इसलिए हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके भगवान शिव को जल अर्पित करें। कहा जाता है कि इस दिशा में मुख करके जल चढ़ाने से शिव और पार्वती दोनों की कृपा मिलती है।

जलाभिषेक का प्रस्ताव

देवाधिदेव को जलाभिषेक करते समय शांत मन से धीरे-धीरे जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जब हम धीमी धारा से महादेव का अभिषेक करते हैं, तो महादेव विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं। भोलेनाथ को कभी भी बहुत तेज या भारी प्रवाह में जल न दें।

जल अभिषेक आसन

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय हमेशा बैठकर जल चढ़ाएं। रुद्राभिषेक करते समय कभी भी खड़े नहीं होना चाहिए। मान्यता के अनुसार खड़े रहकर महादेव को जल चढ़ाने से उसका फल नहीं मिलता।

citycrimebranch August 1, 2022
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