Bangladesh: शिकंजे में शेख हसीना अंतरिम सरकार अरबों के घोटाले में वापस बुलाने की तैयारी में

News India Live, Digital Desk: Bangladesh: बांग्लादेश की राजनीति में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद, अंतरिम सरकार अब उनके खिलाफ कड़े कदम उठा रही है। एक बड़ी खबर सामने आई है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अब शेख हसीना को देश वापस लाने (प्रत्यर्पण) की कोशिशों में जुट गई है, ताकि उन पर कई बड़े भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए जा सकें। बताया जा रहा है कि हसीना इस वक्त लंदन में हैं।

अंतरिम सरकार का बड़ा खुलासा:
अंतरिम सरकार के एक महत्वपूर्ण सलाहकार, प्रोफेसर आसिफ नज़रुल ने हाल ही में ढाका में मीडिया को यह चौंकाने वाली जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार बांग्लादेश से लूटे गए अरबों डॉलर के पैसों को वापस लाने के लिए ‘युद्ध स्तर’ पर काम कर रही है। इन पैसों के बड़े हिस्से में कथित तौर पर सरकारी बैंकों के लाखों-करोड़ों के कर्ज और कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा लिए गए लोन शामिल हैं, जो अब तक चुकाए नहीं गए हैं।

शेख हसीना पर लग सकते हैं ये गंभीर आरोप:
अंतरिम सरकार का कहना है कि वे इस बात पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं कि क्या शेख हसीना के खिलाफ देश से बाहर अरबों रुपये की हेरफेर, काले धन को सफेद करना (मनी लॉन्ड्रिंग) और कई बड़े लोन डिफॉल्ट (कर्ज न चुकाने) के मामलों में प्रत्यर्पण वारंट (Extradition Warrant) जारी किया जाए। अगर ऐसा होता है, तो यह हसीना के लिए बहुत बड़ी कानूनी मुसीबत होगी।

बांग्लादेश में क्यों पलटी सत्ता?
पिछले दिनों बांग्लादेश में आम चुनाव को लेकर भारी विवाद हुआ था। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि शेख हसीना की सरकार ने धांधली की कोशिश की, जिससे माहौल काफी गरम हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया और सेना ने भी इस पर सख्त टिप्पणी की। जब सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक स्थिति को लेकर चिंता जताई, तो सेना को मैदान में उतरना पड़ा और शेख हसीना को अपने पद से हटना पड़ा।

अब आगे क्या?
यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतरिम सरकार शेख हसीना को वापस लाने और उन पर आरोप लगाने में कितनी सफल होती है। इस कदम से बांग्लादेश की राजनीति में एक और बड़ा भूचाल आने की संभावना है। प्रोफेसर आसिफ नज़रुल का यह बयान दिखाता है कि अंतरिम सरकार देश के अंदरूनी और वित्तीय समस्याओं को लेकर कितनी गंभीर है और वे इसमें पूर्व सरकार के मुखिया को भी जिम्मेदार मान रहे हैं। बांग्लादेश इस समय एक महत्वपूर्ण चौराहे पर खड़ा है, जहां उसे अपने लोकतंत्र और आर्थिक स्थिति को स्थिर करना है, और ये कानूनी दांव-पेच इसी स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकते हैं।

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