भारतीय शेयर बाजार के नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने 19 फॉरेन वेंचर कैपिटल इंवेस्टर्स (FVCIs) के रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिए हैं। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि जांच में पाया गया कि ये संस्थाएं अपने रजिस्टर्ड एड्रेस पर काम नहीं कर रही थीं। ये कंपनियां मॉरीशस, सिंगापुर और साइप्रस से पंजीकृत थीं, लेकिन 2013 से 2023 के बीच इन्होंने अपने रजिस्टर्ड पते से काम करना बंद कर दिया था।
SEBI की जांच में क्या सामने आया?
SEBI ने अपनी विस्तृत जांच के बाद पाया कि जिन 19 FVCIs के रजिस्ट्रेशन रद्द किए गए हैं, उनमें से 6 ने कभी भी तिमाही रिपोर्ट दाखिल नहीं की, जबकि 4 कंपनियों ने 2013 के बाद से कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की। यह दर्शाता है कि ये संस्थाएं न तो सक्रिय रूप से काम कर रही थीं और न ही नियामकीय आवश्यकताओं का पालन कर रही थीं।
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बड़े निवेशकों पर गिरी गाज
SEBI की इस कार्रवाई में कई बड़े नाम शामिल हैं, जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित संस्थाएं हैं:
- एक्सिस कैपिटल मॉरीशस
- एक्सिस इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर होल्डिंग्स
- ब्लैकस्टोन कैपिटल पार्टनर्स (सिंगापुर) VI एफवीसीआई
- ब्लैकस्टोन फैमिली इंवेस्टमेंट पार्टनरशिप VI-ईएससी एफवीसीआई
इनमें से कई निवेशक वैश्विक स्तर पर बड़े फंड हाउस के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन SEBI के नियामकीय दायरे में असफल रहने के कारण इनके खिलाफ कार्रवाई की गई।
SEBI के आदेश में क्या कहा गया?
SEBI ने 18 फरवरी को एक आदेश जारी किया, जिसमें SEBI के चीफ जनरल मैनेजर जी. रमर ने स्पष्ट किया कि उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार, इन FVCIs की कोई भी गतिविधि नियमित रूप से संचालित नहीं हो रही थी। जिन संस्थाओं को नोटिस भेजा गया था, उन्होंने आवश्यक रिपोर्टिंग का पालन नहीं किया और ना ही अपनी गतिविधियों के बारे में SEBI को सूचित किया।
SEBI की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 14 एंटिटीज में से 11 ने 5 साल से अधिक समय पहले अपने रजिस्टर्ड एड्रेस से काम करना बंद कर दिया था, जबकि तीन अन्य कंपनियों ने 10 महीने से लेकर 3 साल पहले तक संचालन रोक दिया था।
SEBI की सख्ती का असर
SEBI की यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि भारतीय शेयर बाजार में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। जिन संस्थाओं पर संदेह होता है कि वे नियामकीय दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रही हैं, उन पर अब कड़ी नजर रखी जा रही है।
यह कदम विदेशी निवेशकों के लिए एक स्पष्ट संदेश भी है कि अगर वे भारत में निवेश करना चाहते हैं, तो उन्हें सभी नियामकीय दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।