sankashti chaturthi: एकदंत संकष्टी चतुर्थी कब है? जानें शुभ मुहूर्त, योग

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संकष्टी चतुर्थी हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए यह व्रत बहुत अच्छा माना जाता है। मई माह में यह व्रत 16 मई, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जो आपके लिए काफी लाभकारी रहेंगे।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी कब है?

इस वर्ष संकष्टी चतुर्थी 16 मई, शुक्रवार को प्रातः 4:02 बजे से प्रारम्भ होकर 17 मई, शनिवार को प्रातः 5:13 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का व्रत 16 मई, शुक्रवार को रखा जाएगा।

 

ब्रह्म मुहूर्त – प्रातः 4:06 बजे से प्रातः 4:48 बजे तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 2:34 बजे से 3:28 बजे तक रहेगा।

गोधूलि मुहूर्त – शाम 7:04 बजे से 7:25 बजे तक रहेगा।

निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:57 बजे से 12:38 बजे तक रहेगा।

इस दिन चंद्रोदय रात्रि 10.30 बजे होगा।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी शुभ योग

इस समय सिद्ध योग और शिववास योग बन रहे हैं। इस योग में किए गए धार्मिक कार्य करियर में विशेष लाभ पहुंचाते हैं।

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पूजा विधि

चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। फिर भगवान गणेश की पूजा शुरू करें। पूजा से पहले मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। साथ ही विघ्नहर्ता को रोली, अक्षत, दूर्वा, लाल फूल, मोदक और अगरबत्ती अर्पित करें। इस दौरान ‘ओम गं गणपतये नम:’ मंत्र का जाप करें और अंत में संकटनाशन स्तोत्र या गणेश चालीसा का पाठ करें।

लाभ कैसे होंगे?

अपनी संतान की लंबी आयु के लिए संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति के सामने घी का दीपक जलाएं और संतान गणपति स्तोत्र का पाठ करें। सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी. इस समय भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करें। इसके अलावा बप्पा को आक के फूल और मोदक का भोग लगाएं। इसके अलावा गरीबों को भोजन, पानी और धन दान करें। इन सभी उपायों को करने से आपको भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होगी।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सुख-समृद्धि आती है। साथ ही जीवन में समृद्धि भी आती है। इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।