Russia surprises the world : तालिबान सरकार को दी ‘वैधता’, ग्लोबल डिप्लोमेसी में आया भूचाल

Russia surprises the world : तालिबान सरकार को दी 'वैधता', ग्लोबल डिप्लोमेसी में आया भूचाल
Russia surprises the world : तालिबान सरकार को दी ‘वैधता’, ग्लोबल डिप्लोमेसी में आया भूचाल

News India Live, Digital Desk: Russia surprises the world : अफगानिस्तान में जब से तालिबान ने 2021 में सत्ता संभाली है, तब से दुनिया के ज़्यादातर देश उनसे दूरी बनाए हुए हैं। किसी ने भी उन्हें आधिकारिक तौर पर ‘वैध’ सरकार नहीं माना, लेकिन अब एक बड़ी ख़बर आई है जिसने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में हलचल मचा दी है। रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता दे दी है, और इसके साथ ही रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला बड़ा देश बन गया है! यह फैसला वैश्विक राजनीति के समीकरणों को बदल सकता है।

रूसी विदेश मंत्रालय का बड़ा ऐलान:
रूसी विदेश मंत्रालय ने बाकायदा इसकी घोषणा करते हुए बताया कि उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है। यह क़दम तब आया है जब कई महीनों से रूस और तालिबान के बीच ‘पर्दे के पीछे’ से बातचीत चल रही थी। रूस की सुरक्षा परिषद् (Security Council) के उपाध्यक्ष सर्गेई मिरोनोव ने भी कहा था कि “रूस तालिबान सरकार को जल्द से जल्द मान्यता देना चाहता है ताकि वे दुनिया भर में अपनी विश्वसनीयता (credibility) बना सकें।”

क्यों दिया रूस ने तालिबान को ‘साथ’?
रूस का यह फैसला सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि सामरिक महत्व का भी है। रूस की चिंता मध्य एशिया में बढ़ते चरमपंथ (extremism) और सीमा पार आतंकवाद (cross-border terrorism) को लेकर है। उनका मानना है कि तालिबान के साथ सीधा जुड़ाव रखने से वे इन खतरों को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं। इसके अलावा, ऊर्जा संसाधनों से भरपूर मध्य एशियाई देशों में अपना प्रभाव बनाए रखना भी रूस के हित में है। माना जा रहा है कि अब अफगानिस्तान और रूस के बीच सीधा व्यापार (direct trade) और निवेश के रास्ते खुल सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय बिरादरी और तालिबान का इंतजार:
दुनिया के लगभग सभी देशों ने अभी तक तालिबान को मान्यता देने से मना किया है। उनकी प्रमुख शर्तें हैं – तालिबान एक ‘समावेशी’ (inclusive) सरकार बनाए, महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों (खासकर शिक्षा और काम करने के अधिकार) का सम्मान करे, और अफगानिस्तान की धरती को आतंकवाद के लिए इस्तेमाल न होने दे।

तालिबान खुद लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय पहचान का इंतजार कर रहा था, क्योंकि इसके बिना उन्हें संयुक्त राष्ट्र (UN) और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से मिलने वाली आर्थिक मदद भी नहीं मिल पा रही थी। यह मान्यता मिलने से उनकी ‘वैधता’ को बल मिलेगा और शायद दूसरे देश भी अब इस पर सोचने पर मजबूर हों।

भारत और क्षेत्रीय समीकरणों पर असर:
रूस का यह कदम भारत और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी मायने रखता है। भारत ने भी तालिबान को मान्यता देने के लिए उन सभी शर्तों को पूरा करने पर जोर दिया है जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने रखी हैं। ऐसे में रूस का यह एकतरफा कदम क्षेत्रीय भू-राजनीति को किस दिशा में ले जाता है, यह देखना दिलचस्प होगा। यह कदम न केवल रूस की विदेश नीति में बदलाव का संकेत है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे पुराने राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं।

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