Rajasthan Dussehra : 4 महीने, 25 कारीगर और 12 टन का रावण: कोटा के दशहरे की वो कहानी जो आपने कभी नहीं सुनी

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News India Live, Digital Desk:  जब कोटा के दशहरा मेले का जिक्र होता है, तो आंखों के सामने भव्यता, रोशनी और आतिशबाजी का मंजर घूम जाता है। लेकिन इस बार यहां का नजारा कुछ ऐसा होने वाला है जो इतिहास में दर्ज हो जाएगा। शहर के दशहरा मैदान में इस बार दुनिया का सबसे विशालकाय रावण का पुतला तैयार किया जा रहा है, जिसे देखकर लोग दंग रह जाएंगे।

215 फीट ऊंचे और करीब 12 टन वजनी इस रावण को बनाने में इतना लोहा लगा है, जितना किसी छोटे पुल को बनाने में भी नहीं लगता। हरियाणा के अंबाला से आए कलाकार तेजेंद्र चौहान और उनकी 25 कारीगरों की टीम पिछले चार महीनों से इस महाकाय पुतले को गढ़ने में जुटी है।

रावण ऐसा, जिसे देख छूट जाएं पसीने

इस रावण की बनावट किसी अजूबे से कम नहीं है। इसका मुख्य सिर ही 25 फीट का है, जबकि बाकी नौ सिर भी काफी बड़े हैं। फाइबर ग्लास से बने सिर्फ चेहरे का वजन ही 300 किलोग्राम है। रावण को और रौबदार दिखाने के लिए उसकी मूंछें घनी और ऊपर की तरफ मुड़ी हुई बनाई गई हैं।

  • 60 फीट का मुकुट: रावण का मुकुट 60 फीट ऊंचा है, जिसे चार हिस्सों में बनाया गया है और इसमें मल्टी-कलर एलईडी लाइट्स लगाई गई हैं, जो रात में एक अद्भुत नजारा पेश करेंगी।
  • विशालकाय शस्त्र और जूतियां: रावण के हाथ में 50 फीट की तलवार होगी और उसकी जूतियां भी 40 फीट की हैं।
  • कुंभकर्ण और मेघनाद भी नहीं हैं कम: रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले भी 60-60 फीट ऊंचे बनाए जा रहे हैं।

सिर्फ 3 घंटे में खड़ा हो जाएगा 12 टन का रावण

इतने भारी-भरकम पुतले को खड़ा करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए 6 फीट गहरा और 25 फीट चौड़ा एक पक्का फाउंडेशन तैयार किया जा रहा है। दो क्रेनों, जेसीबी और 100 मजदूरों की मदद से इसे महज 3 घंटे में खड़ा कर दिया जाएगा।

पहली बार रिमोट से होगा दहन

इस बार रावण दहन की परंपरा को आधुनिक तकनीक से जोड़ा गया है मशाल या तीर की बजाय, रावण का दहन एक रिमोट कंट्रोल से होगा।पुतले में 20 अलग-अलग जगहों पर सेंसर लगाए गए हैं। बटन दबते ही पहले रावण का छत्र और मुकुट जलना शुरू होंगे और फिर पूरा पुतला शानदार आतिशबाजी के साथ धूं-धूं कर जल उठेगा।

2 अक्टूबर की शाम जब कोटा का दशहरा मैदान लोगों से खचाखच भरा होगा, तब यह 215 फीट का रावण सिर्फ एक पुतला नहीं, बल्कि कारीगरों की महीनों की मेहनत, परंपरा और कोटा की विश्व प्रसिद्ध शान का प्रतीक होगा।

 

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