Proud Moment : भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने आईएसएस पर पहला सप्ताह पूरा किया, परिवार हुआ इमोशनल

Proud Moment : भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने आईएसएस पर पहला सप्ताह पूरा किया, परिवार हुआ इमोशनल
Proud Moment : भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने आईएसएस पर पहला सप्ताह पूरा किया, परिवार हुआ इमोशनल

News India Live, Digital Desk: Proud Moment : हम सभी जानते हैं कि अंतरिक्ष यात्रा कितनी अद्भुत और रोमांचित कर देने वाली होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं, इतनी ऊंचाई पर जाने के बाद भी एक अंतरिक्ष यात्री को सबसे ज़्यादा याद क्या आता है? अपना परिवार! भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए चुने गए पहले अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं, उन्होंने हाल ही में इस बात को सच साबित कर दिया। शुभांशु ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अपना पहला हफ़्ता शानदार तरीके से पूरा किया और एक ऑफ-ड्यूटी (छुट्टी) वाले दिन अपने परिवार से बात करके अपने दिल का हाल बयां किया। यह पल उनके लिए भी और उनके परिवार के लिए भी बेहद भावुक और यादगार रहा।

एक हफ़्ता अंतरिक्ष में, और फिर ‘अपनों’ से बात:
पिछले हफ्ते ही शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य साथी अंतरिक्ष यात्रियों ने ‘गैगरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर’ के प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत ISS पर पहला हफ़्ता पूरा किया है। ये चारों ही ‘गगनयान’ मिशन के लिए चुने गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं, जो फिलहाल अपने प्रशिक्षण के आखिरी पड़ाव पर हैं। शनिवार को, जब शुभांशु ऑफ-ड्यूटी पर थे, उन्हें अपने माता-पिता और पत्नी से वीडियो कॉल पर बात करने का मौका मिला।

लगभग 20-25 मिनट की इस बातचीत में, शुभांशु ने अपने माता-पिता और पत्नी के साथ ISS पर अपने पहले सप्ताह के अनुभवों को साझा किया। कॉल के दौरान उनके चेहरे पर अंतरिक्ष में रहने का उत्साह और साथ ही, घर से दूर होने का थोड़ा नोस्टैल्जिया (घर की याद) साफ दिख रहा था। परिवार ने इस कॉल का एक छोटा सा वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जो देखते ही देखते वायरल हो गया।

परिवार का प्यार और गर्व:
शुभांशु की माँ, श्रीमती स्नेह शुक्ला ने मीडिया से बात करते हुए बताया, “मुझे अपने बेटे से बात करके और उसे अंतरिक्ष में देखकर बहुत खुशी हुई। मेरा मन भी थोड़ा उदास हो रहा था, लेकिन मैंने अपने आँसुओं को रोके रखा।” एक माँ के लिए यह पल कितना गर्व और चिंता का मिला-जुला अहसास रहा होगा, यह आसानी से समझा जा सकता है।

वहीं, उनके पिता, श्री ज्ञानेश शुक्ला ने कहा, “हमारे बेटे शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में 1 सप्ताह पूरा कर लिया है और उन्होंने अपने परिवार से बातचीत की है।” एक पिता के लिए बेटे का सपना पूरा होना इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है! शुभांशु की पत्नी, अनु शुक्ला, जो खुद भी वायुसेना में हैं, उन्होंने भी इस अवसर पर शुभांशु को शुभकामनाएं दीं और बताया कि ऐसे कठिन प्रोफेशन में निजी और पेशेवर जीवन के बीच संतुलन बनाना कितना मुश्किल होता है।

अंतरिक्ष से कैसा लगता है घर?
कॉल पर शुभांशु ने परिवार को बताया कि अंतरिक्ष में दिशा का कोई मतलब नहीं होता, सब कुछ भारहीन होता है। धरती का अद्भुत नज़ारा, तारे और ब्रह्मांड का वो विराट रूप देखकर वे अवाक रह जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद, अपने देश और परिवार से दूर रहने की कसक उन्हें भी महसूस हुई। यह एक ऐसे भारतीय पायलट की कहानी है जिसने न सिर्फ आसमान को छुआ है, बल्कि हमारे देश को भी अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नई ऊँचाई दी है। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही 2040 तक चांद पर जाने और 2035 तक अपना स्पेस स्टेशन बनाने का लक्ष्य रखा है, और ऐसे में शुभांशु जैसे जांबाज ही भारत के इस सपने को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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