
प्रियंका चोपड़ा, आज ग्लोबल आइकन और एक सफल अभिनेत्री हैं, लेकिन उनकी सफलता की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। उन्होंने अपने शुरुआती दिनों में जिस तरह के संघर्षों और सामाजिक मानदंडों का सामना किया, उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। हाल ही में, उनकी सुपरहिट फिल्म ‘ऐतराज़’ के सह-कलाकार विशाल सिंह ने एक ऐसा किस्सा साझा किया है, जिससे पता चलता है कि शुरुआती दिनों में लोगों की सोच प्रियंका के लुक्स को लेकर क्या थी।
विशाल सिंह ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि उन्होंने प्रियंका चोपड़ा को तब देखा था जब वह ‘मिस वर्ल्ड’ नहीं बनी थीं। उस समय, विशाल के शब्दों में, प्रियंका दुबली-पतली थीं और उनकी रंगत भी सांवली थी। विशाल ने स्वीकार किया कि तब उनके मन में यह विचार आया था – “ये कैसे बन पाएंगी हीरोइन?” उस समय के बॉलीवुड के प्रचलित सौंदर्य मानकों को देखते हुए उन्हें लगा था कि प्रियंका शायद मुख्यधारा की एक्ट्रेस नहीं बन पाएंगी।
हालांकि, प्रियंका चोपड़ा ने हर अनुमान को गलत साबित कर दिया। जब उन्होंने ‘मिस वर्ल्ड’ का खिताब जीता और बाद में हिंदी सिनेमा में अपनी छाप छोड़ी, तो विशाल सिंह खुद चौंक गए। उन्होंने कहा, “जब वह ‘मिस वर्ल्ड’ बनीं और मैं फिल्म ‘ऐतराज़’ में उनका को-स्टार था, तो मुझे बहुत अजीब लगा। मेरे मन में बस एक ही बात थी – ‘यह कैसे हो सकता है?’ मैंने उन्हें उनकी शुरुआती रंगत और कद-काठी के कारण जज किया था।”
विशाल सिंह का यह अनुभव एक बड़ी सीख बन गया। उन्हें एहसास हुआ कि किसी की प्रतिभा या भविष्य को सिर्फ उसके शुरुआती शारीरिक रूप-रंग के आधार पर आंकना कितनी बड़ी गलती है। प्रियंका ने साबित कर दिया कि सफलता के लिए लगन, मेहनत और असली टैलेंट ज़रूरी होता है, न कि गोरा रंग या सिर्फ एक निश्चित तरह की शारीरिक बनावट।
प्रियंका चोपड़ा की यह यात्रा दर्शाती है कि बाहरी सुंदरता केवल एक भ्रम हो सकती है, जबकि असली क्षमता और आत्मविश्वास ही किसी को शिखर पर पहुंचाता है। विशाल सिंह का यह किस्सा लोगों को प्रेरित करता है कि वे कभी भी किसी को उसकी मौजूदा स्थिति या लुक्स के आधार पर कम न आंकें।