
News India live, Digital Desk : Political earthquake in Karnataka: देश के संविधान की प्रस्तावना में लिखे दो सबसे महत्वपूर्ण शब्दों – ‘सोशलिस्ट’ (समाजवादी) और ‘सेक्युलर’ (धर्मनिरपेक्ष) – को लेकर एक बड़ा राजनीतिक और कानूनी विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबले के एक बयान को लेकर कर्नाटक में यूथ कांग्रेस ने उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी है।
आरोप है कि दत्तात्रेय होसबले ने एक कार्यक्रम में कहा कि संविधान में ‘सोशलिस्ट’ और ‘सेक्युलर’ शब्दों को “अलोकतांत्रिक तरीके से” जोड़ा गया था और ये “अनावश्यक” हैं। यह बयान सामने आते ही कांग्रेस आगबबूला हो गई।
कर्नाटक यूथ कांग्रेस की कानूनी शाखा ने इसे हल्के में नहीं लिया। वे सीधे बेंगलुरु के हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन पहुंचे और होसबले के खिलाफ एक FIR दर्ज करा दी।
यूथ कांग्रेस ने क्या आरोप लगाए हैं?
यूथ कांग्रेस का कहना है कि यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि देश के संविधान और उसके निर्माताओं का घोर अपमान है। अपनी शिकायत में उन्होंने कहा:
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यह देश को बांटने की कोशिश है: होसबले का बयान समाज में अलग-अलग समूहों के बीच नफरत और दुश्मनी पैदा करने वाला है।
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धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई: यह बयान जानबूझकर नागरिकों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से दिया गया है।
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यह एक सोची-समझी साजिश है: यूथ कांग्रेस ने इसे बीजेपी और RSS का “छिपा हुआ एजेंडा” बताया है, जिसके तहत वे देश के संविधान को बदलना चाहते हैं।
उन्होंने होसबले के खिलाफ IPC की कई गंभीर धाराओं (जैसे 153A, 295A, 505) के तहत कार्रवाई की मांग की है, जो समाज में नफरत फैलाने और शांति भंग करने से जुड़ी हैं।
यह मामला अब सिर्फ राजनीतिक बयानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि एक कानूनी लड़ाई का रूप ले चुका है। यह विवाद इस बहस को फिर से हवा दे रहा है कि भारत की पहचान के मूल में बसे इन शब्दों का आखिर मतलब क्या है और क्या कोई उन्हें चुनौती दे सकता है?
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