एक सुसाइड, दो बड़े अफसर और कई अनसुलझे सवाल... खाकी वर्दी के पीछे का वो ‘काला सच’ जो एक जान ले गया

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खाकी वर्दी... जब हम इसे देखते हैं, तो मन में सुरक्षा और न्याय की एक तस्वीर बनती है। लेकिन क्या हो जब इसी वर्दी को पहनने वाला एक बड़ा अधिकारी खुद इतना बेबस और प्रताड़ित महसूस करे कि उसे अपनी जान ही देनी पड़ जाए?

हरियाणा पुलिस महकमे में एक ऐसा ही ‘भूचाल’ आ गया है, जिसने विभाग की चूलें हिलाकर रख दी हैं। एक सीनियर IPS अधिकारी, वाई. पुरण कुमार, ने आत्महत्या कर ली। लेकिन यह सिर्फ एक दुखद मौत नहीं है, यह अपने पीछे एक ऐसा सुसाइड नोट छोड़ गई है जिसने हरियाणा पुलिस के सबसे बड़े ‘कप्तानों’ को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है।

मौत से पहले के वो ‘आखिरी शब्द’
आईपीएस पुरण कुमार ने अपनी मौत से पहले लिखे एक सुसाइड नोट में अपनी इस हालत के लिए किसी और को नहीं, बल्कि हरियाणा पुलिस के मुखिया, यानी DGP (पुलिस महानिदेशक) और रोहतक के SP (पुलिस अधीक्षक) को जिम्मेदार ठहराया है।

यह कोई छोटा-मोटा आरोप नहीं है। यह एक ऐसे अधिकारी का आरोप है, जो शायद सिस्टम के अंदर चल रहे किसी ऐसे ‘खेल’ या दबाव का शिकार हो गया, जिसे वह और बर्दाश्त नहीं कर पाया।

अब कानून ने लिया अपना काम हाथ में
इस सुसाइड नोट को सिर्फ एक कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक मृत्यु-पूर्व बयान (Dying Declaration) मानते हुए, अब इन दोनों ही बड़े अधिकारियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के गंभीर आरोप में FIR दर्ज कर ली गई है।

क्यों है यह मामला इतना गंभीर?
यह सिर्फ एक आत्महत्या का मामला नहीं है, यह पूरे सिस्टम पर एक बड़ा और गंभीर सवाल खड़ा करता है:

  • एक सीनियर IPS अधिकारी पर आखिर ऐसा कौन-सा दबाव था कि उसे यह कदम उठाना पड़ा?
  • क्या पुलिस विभाग के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है?
  • क्या बड़े अधिकारियों द्वारा अपने जूनियर्स पर गैर-जरूरी दबाव बनाया जा रहा है?

यह घटना खाकी वर्दी के पीछे के उस अनकहे तनाव और दबाव की एक दर्दनाक कहानी बयां करती है। अब सबकी निगाहें इस जांच पर टिकी हैं कि आखिर वो कौन-सी वजहें थीं, जिन्होंने एक बहादुर अधिकारी को अपनी जिंदगी खत्म करने पर मजबूर कर दिया।

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