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बिहार

नीतीश सरकार की स्टार्टअप नीति हो रही कारगर: कुमोद कुमार

neha maurya
Published August 4, 2022
Last updated: 2022/08/04 at 1:50 PM
4 Min Read
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पटना, 04 अगस्त (हि.स.)। बिहार के सबसे प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूल “चंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट” के मुख्य प्रशासनिक पदाधिकारी (सीएओ) कुमोद कुमार ने बहुभाषी न्यूज एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार से खास बातचीत में नीतीश सरकार की स्टार्टअप नीति से पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कुमोद कुमार बिजनेस इन्क्यूबेशन एंड इन्नोवेशन फाउंडेशन (बिहार सरकार के उद्योग विभाग और सीआईएमपी द्वारा स्थापित बिहार का प्रमुख स्टार्टअप इन्क्यूबेशन सेन्टर) के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी भी हैं।

कुमोद कुमार ने बताया कि बिहार सरकार 2017 में स्टार्टअप पॉलिसी लेकर आई थी, जो पांच सालों के लिए बनी थी। उसके बाद इसमें थोड़ा सुधार कर इस साल बिहार सरकार के उद्योग विभाग ने यह पॉलिसी जारी की है। जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य के नव उद्यमियों को रोजगार सृजन के लिए प्रेरित करना था, जिसमें बहुत हद तक सफलता मिली है। इसके माध्यम से एक इकोसिस्टम विकसित हो रहा है और इसका लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच रहा है।

स्टार्टअप नीति से प्रोत्साहन मिलने की बात पर उन्होंने कहा कि अकेले चंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट (सीआईएमपी) संस्थान में 54 कंपनियों को इसके लिए प्रोत्साहित कर सीड फंड मुहैया कराया गया है। आज वह सभी 54 कंपनियां बिहार सहित अन्य प्रदेश के युवा बेरोजगारों को रोजगार मुहैया करा रही है। उन्होंने कहा कि इनमें से एक कंपनी हनुमान का सालाना टर्नओवर करीब 20 करोड़ रुपये का है।

बिहार सरकार द्वारा 10 लाख रुपये का सीड फंड क्या है और यह कैसे मुहैया करायी जाती है। कुमोद कुमार ने कहा कि बिहार स्टार्टअप पॉलिसी-2022 के तहत सीड फंड के रूप में 10 साल के लिए 10 लाख रुपये की रकम बिना ब्याज के दी जाएगी। सीड फंडिंग के बाद भी स्टार्ट-अप्स के ग्रोथ में या उसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए मार्गदर्शन, ट्रेनिंग या मार्केटिंग में मदद चाहिए तो उसके लिए भी स्टार्टअप पॉलिसी 2022 के तहत आवश्यक प्रावधान किए गए हैं।

इसके लिए हमारा संस्थान (चंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट) बिहार सरकार और स्टार्ट-अप्प कंपनी के मध्य एक कड़ी का काम करती है। अभी हमारे संस्थान सीआईएमपी के रिकमेंडेशन से करीब 54 कंपनियों को सीड फंड मुहैया कराया गया है। फंड मुहैया कराने के अलावा हम उन कंपनियों को मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और मार्केटिंग कैसे करें, इस बारे में भी सलाह देते हैं। इसके लिए हमारी ओर से एक इन्क्यूबेशन सेंटर बनाया गया है।

स्टार्ट-अप्प में मेघालय जैसे छोटे राज्य का प्रदर्शन अच्छा रहा है, उससे अगर बिहार की तुलना करें तो बिहार क्यों पिछड़ रहा है। इस सवाल के जवाब में कुमोद कुमार ने कहा कि मेघालय अच्छा कर रहा है लेकिन बिहार का प्रदर्शन भी खराब नहीं है। उन्होंने कहा कि 2017 से लेकर 2022 तक स्टार्टअप को लेकर सरकार द्वारा जो पॉलिसी लाई गई थी उसमें कुछ खामियां थी। उस पॉलिसी के तहत सरकार किसको फंड दे इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेवारी भी सरकार द्वारा गठित समिति करती थी।

इस समिति की लेटलतीफी की वजह से नए हुनरमंद लोगों को स्टार्टअप के लिए धन मुहैया कराने में काफी समय लग जाता था लेकिन 2022 में लाई गई नयी पॉलिसी में इस बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है। हमारे जैसे संस्थानों को इसका जिम्मा दिया गया है, जिससे जरूरतमंदों-हुनरमंदों तक सीड फंड तेजी से पहुंच रहा है और काम भी अच्छा हो रहा है।

neha maurya August 4, 2022
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