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देश

अमन चैन वाला नया उत्तर प्रदेश

neha maurya
Published August 2, 2022
Last updated: 2022/08/02 at 2:47 PM
9 Min Read
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आम धारणा है कि पुलिस हमेशा घटना होने के बाद पहुंचती है, अमूमन होता भी यही है, लेकिन यूपी पुलिस इस धारणा को तोड़ रही है और अब किसी संभावित घटना की रोकथाम कर रही है। तभी तो चाहे कांवड़ यात्रा हो या रामनवमी, हनुमान जयंती और अग्निपथ योजना सहित कई ऐसे आयोजन और घटनाक्रम रहे, जिनमें देश के कई राज्य जल उठे लेकिन उत्तर प्रदेश में शांति रही। विधानसभा चुनाव की पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्वक हुई। जबकि कुछ माह पहले बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सुप्रीम कोर्ट को भी हस्तक्षेप करना पड़ा और सीबीआई जांच तक चल रही है।

यह वही उत्तर प्रदेश है, जिसमें कुछ वर्षों पहले तक पर्व-त्योहारों पर सांप्रदायिक हिंसा और दंगा आम बात थी। उत्तर प्रदेश की पहचान देशभर में ध्वस्त कानून व्यवस्था के रूप में भी थी, लेकिन अब इसी प्रदेश को लेकर लोगों का नजरिया बदला है तो इसका श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है। उन्होंने पुलिस को काम करने की छूट दी, अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई। अब उत्तर प्रदेश में शांति व सौहार्द्रपूर्ण माहौल में पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं।

ताजा उदाहरण पश्चिमी यूपी के सबसे बड़े त्योहार कांवड़ यात्रा का है। अब भले कोई कांवड़ यात्रा में हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने को लेकर मुद्दा बनाए, यह बहस का मुद्दा भी हो सकता है लेकिन धार्मिक आयोजनों व कार्यक्रमों में इस तरह की पहल का स्वागत होना चाहिए। कांवड़ियों की सेवा की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। लोग स्वत: भाव से शिविरों में कांवड़ियों की सेवा के लिए महीनों से तैयारी करते हैं। प्रदेश में 840 कांवड़ मार्ग और 4,556 शिवालय हैं, जहां जलाभिषेक किया जाएगा, 314 स्थानों पर श्रावण मेले का आयोजन किया जा रहा है और 332 नदी और घाट पर कांवड़ यात्री पवित्र जल भर रहे हैं। यात्रा को सकुशल संपन्न कराने के लिए पुलिस ने न सिर्फ तैयारी की, बल्कि उसे अंजाम तक पहुंचा रही है। यात्रा मार्ग को 1917 सेक्टरों में विभाजित करते हुए हर सेक्टर में पर्याप्त पुलिस बल की शिफ्टवार ड्यूटी, 151 कंपनी पीएसी, 11 कंपनी केंद्रीय पुलिस बल और 1195 क्यूआरटी टीम सुरक्षा व्यवस्था के लिए लगाई गई, ताकि कांवड़ यात्रा सकुशल संपन्न कराई जा सके।

इतना ही नहीं, पुलिस ने कांवड़ यात्रा के पहले ही 1670 से अधिक पीस कमेटी और शांति समितियों की बैठक भी की। इसके बावजूद कांवड़ यात्रा को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई और बिजनौर में एक संप्रदाय के दो युवकों ने भगवा गमछा पहनकर मजार में तोड़फोड़ की लेकिन पुलिस ने समय रहते दोनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले भी लखनऊ के लुलू मॉल में नमाज पढ़ने को लेकर विवाद हुआ। मामले में पुलिस ने एक ही संप्रदाय के सात आरोपियों को गिरफ्तार किया।

दोनों हालिया घटनाएं यह बताने के लिए काफी हैं कि अगर पुलिस सक्रिय नहीं रहती, तो किसी भी बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता था। ऐसे ही रामनवमी पर देश के कई राज्यों राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश और जेएनयू में हिंसक घटनाएं हुईं और कई लोगों की जानें गईं। जबकि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में शांतिपूर्ण ढंग से रामनवमी मनाई गई। अयोध्या में पहली बार 30 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी लेकिन कहीं से अनहोनी की खबर नहीं आई।

इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटवाने के मामले में संवेदनशीलता और दूरदर्शिता का परिचय दिया। उन्होंने सबसे पहले गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर और देवीपाटन स्थित मंदिर से लाउडस्पीकर उतरवाए। इसके बाद यूपी पुलिस ने धर्मगुरुओं से संवाद स्थापित कर एक लाख 34 हजार से अधिक धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर को उतरवाया और उनकी आवाज को तय मानकों के अनुसार कराया। यूपी पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक धार्मिक स्थलों से करीब 74,700 लाउडस्पीकर उतारे गए और 59,950 लाउडस्पीकर की आवाज तय मानकों के अनुसार कराई गई। इसमें करीब 17,816 लाउडस्पीकर स्कूल को दिए गए हैं और 1960 लाउडस्पीकरों को पब्लिक एड्रेस सिस्टम के लिए दिया गया है।

उत्तर प्रदेश ने संवाद के माध्यम से एक और मिसाल कायम की है। पहली बार हुआ कि सर्वसम्मति से लोगों ने सड़कों पर धार्मिक आयोजन नहीं किए। यूपी पुलिस ने सार्वजनिक मार्गों, सड़कों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक आयोजनों के बारे में 27,042 धर्मगुरुओं के साथ संवाद किया।

यूपी सरकार की ओर से प्रदेश में कानून को हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की गई है और आरोपियों के खिलाफ नियमों के तहत बुलडोजर भी चला है। 10 जून को शुक्रवार को हुई घटना में फिरोजाबाद, अंबेडकरनगर, मुरादाबाद, सहारनपुर, प्रयागराज, हाथरस, अलीगढ़, लखीमपुरखीरी और जालौन में 13 मुकदमे दर्ज करते हुए 357 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। ऐसे ही अग्निपथ योजना के विरोध में कानपुर, फिरोजाबाद, अलीगढ़, हाथरस, मुरादाबाद, अंबेडकरनगर, खीरी, जालौन, सहारनपुर और प्रयागराज में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इसमें 21 पुलिसकर्मी और 14 आम लोग घायल हुए थे। इन जिलों में पुलिस ने 20 मुकदमे दर्ज करते हुए करीब सवा चार सौ आरोपियों को गिरफ्तार किया।

यूपी पुलिस की कार्रवाई इस बात को दर्शाती है कि कानून व्यवस्था के मामले में कोई समझौता नहीं किया गया है। न कोई बड़ा और न कोई छोटा। अवैध वसूली में लिप्त 31 पुलिस कर्मियों को चिह्नित कर नौ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। जनता के प्रति जवाबदेह होने का यह सरकार का एक बड़ा संदेश है।

यूपी पुलिस ने सिर्फ अपराधियों या माफिया पर कार्रवाई ही नहीं की है, बल्कि खुद को भी तकनीकी रूप से अपग्रेड किया है। अब यूपी पुलिस के सभी थानों में साइबर हेल्प डेस्क है। यूपी हेल्प लाइन नंबर 112 के रिस्पांस टाइम को 10 मिनट से कम किया है, जबकि 2017 के पहले 38 मिनट का समय लगता था यानी पुलिस 10 मिनट के अंदर घटनास्थल पर पहुंच रही है।

योगी 2.0 के पहले सौ दिनों में 10 हजार युवाओं की पुलिस में भर्ती की गई है। जबकि पहले एक-एक भर्ती में सालों बीत जाते थे। प्रदेश स्तर पर प्रमुख 50 और मुख्यालय स्तर पर 12 माफियाओं को चिह्नित कर गैंग के 896 सदस्यों और सहयोगियों के खिलाफ 405 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और 431 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। माफिया और अपराधियों की अवैध रूप से अर्जित 8,444 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त की गई है।

ऐसे में कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि कानून व्यवस्था के मामले में जिस तरह से यूपी पुलिस योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है, आने वाले वर्षों में यह भी संभव है कि वह देश में नंबर एक पुलिस बल हो। जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश ने पिछले कुछ वर्षों में कानून व्यवस्था और सुधारों के मामले में बड़ी पहल की है, वह सिर्फ पर्व-त्योहारों तक सीमित नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश से संगठित अपराध को खत्म किया है।

neha maurya August 2, 2022
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