
News India Live, Digital Desk: Metro In Dino Review : प्यार और रिश्तों की उलझती दुनिया को अनुराग बसु से बेहतर भला कौन दिखा सकता है? उनकी फिल्मों में एक अलग ही जादुई एहसास होता है, एक गहराई जो सीधे दिल को छूती है। ‘लाइफ इन अ मेट्रो’ के बाद अब अनुराग बसु ‘मेट्रो इन डिनो’ लेकर आ रहे हैं – एक ऐसी फिल्म जो आजकल के रिश्तों की कहानी कहने निकली है। लेकिन क्या ये फिल्म पिछली वाली की तरह ही दिल जीत पाएगी? क्या ये वाकई देखने लायक है? आइए, फिल्म देखने से पहले कुछ ज़रूरी बातें जान लेते हैं।
फिल्म की कहानी: दिल्ली में उलझते रिश्ते
‘मेट्रो इन डिनो’ कोई सीधी-सादी लव स्टोरी नहीं है। यह फिल्म दिल्ली शहर की हलचल और मेट्रो में घूमती, चार अलग-अलग जोड़ियों की कहानी है। यहाँ हर रिश्ते में एक नई उलझन है, एक अनकहा दर्द है। ये सिर्फ प्यार की कहानियां नहीं हैं, बल्कि दोस्ती, अकेलेपन, और अनचाही उम्मीदों की भी बातें हैं। चाहे कोई पुराने जमाने का रिश्ता हो या आज का लिव-इन, हर जोड़ी अपनी खुशियों और मुश्किलों से जूझ रही है। यह फिल्म एक तरह से बताती है कि आधुनिक दुनिया में सच्चा प्यार ढूँढना और उसे निभाना कितना मुश्किल हो सकता है।
अनुराग बसु का अनूठा निर्देशन (जादू है या उलझन?):
अनुराग बसु की पहचान उनकी अनूठी फिल्म मेकिंग है – वो सीधे-सीधे कहानी कहने के बजाय उसे टुकड़ों में जोड़ते हैं, जिससे फिल्म देखते वक्त दिमाग चलता है और कहानी में गहराई आती है। उनकी फिल्में विजुअली बहुत रिच होती हैं, उनमें रंग, संगीत और हर शॉट की अपनी कहानी होती है। वो जज़्बातों को स्क्रीन पर बड़े कमाल से दिखाते हैं। ‘मेट्रो इन डिनो’ में भी आपको उनका यही सिग्नेचर स्टाइल देखने को मिलेगा।
कलाकारों का दम: कौन कितना चमका?
इस फिल्म में बड़े-बड़े धुरंधर एक्टर्स हैं – आदित्य रॉय कपूर, सारा अली खान, अनुपम खेर, नीना गुप्ता, पंकज त्रिपाठी, कोंकणा सेन शर्मा, अली फजल, फातिमा सना शेख… सबकी परफॉर्मेंस दिल जीतने वाली है। सबने अपने किरदारों को ईमानदारी से निभाया है। खासकर, अनुभव और युवा प्रतिभा का मिक्स इस फिल्म को खास बनाता है।
प्रीतम का संगीत: फिल्म की जान!
प्रीतम का संगीत फिल्म की जान है। गानें फिल्म के साथ इस तरह घुल-मिल जाते हैं कि आपको कभी-कभी लगता है आप एक लंबा म्यूजिक वीडियो देख रहे हैं, और ये कोई बुरी बात नहीं! उनके गाने कहानी को आगे बढ़ाते हैं और जज़्बातों को और गहरा करते हैं। प्रीतम ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह इमोशनल गानों के उस्ताद हैं।
फिल्म के प्लस पॉइंट्स:
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कलाकारों का दमदार प्रदर्शन: हर एक्टर ने अपना बेस्ट दिया है।
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अनूठा विजुअल अनुभव: अनुराग बसु की सिनेमाटोग्राफी कमाल की है।
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मधुर संगीत: प्रीतम के गाने दिल छू लेने वाले हैं।
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दिल को छूने वाले जज़्बात: रिश्ते और प्यार की उलझनों को बड़ी ईमानदारी से दिखाया गया है।
लेकिन, कुछ कमियां भी हैं:
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धीमी रफ्तार: फिल्म थोड़ी लंबी लग सकती है और कुछ लोगों को धीमी महसूस हो सकती है।
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पिछली फिल्म से तुलना: ‘लाइफ इन अ मेट्रो’ के जादू को दोहराना थोड़ा मुश्किल लगता है।
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निश (Niche) ऑडियंस के लिए: ये फिल्म शायद सबको पसंद न आए। अगर आपको ज़्यादा कमर्शियल या हल्की-फुल्की फिल्में पसंद हैं, तो शायद ये आपको थोड़ा निराश कर सकती है।
क्या आपको ये फिल्म देखनी चाहिए?
अगर आप अनुराग बसु की फिल्मों के फैन हैं, और अगर आपको धीमे, गहरे और रिश्तों की उलझनों वाली कहानियाँ पसंद हैं, तो ‘मेट्रो इन डिनो’ आपके लिए हो सकती है। ये उन लोगों के लिए बनी है जिन्हें फिल्मों में सिर्फ मस्ती-मज़ाक नहीं, बल्कि ज़िंदगी की थोड़ी गहराई भी देखनी हो। इसे ‘एक बार देख सकते हैं’ की श्रेणी में रखा जा सकता है, खासकर अगर आप बसु के अंदाज़ और अच्छे संगीत के कायल हैं।