नेपाल से रिफाइंड सोयाबीन और पाम ऑयल के आयात में भारी बढ़ोतरी हुई है, जिसका प्रमुख कारण ड्यूटी फ्री इंपोर्ट है। बीते चार महीनों में 1.94 लाख टन तेल का आयात किया गया, जबकि हर महीने 50,000-60,000 टन तेल भारत आ रहा है। इस दौरान भारत ने 1.07 लाख टन तेल का निर्यात भी किया।
SAFTA समझौते पर दोबारा बातचीत की मांग
इस स्थिति को देखते हुए सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) समझौते पर पुनर्विचार करने की मांग की है। SEA ने सरकार से अनुरोध किया है कि रिफाइंड तेल के फ्री ड्यूटी इंपोर्ट को सस्पेंड किया जाए और एग्री कमोडिटी इंपोर्ट पर नए नियम लागू किए जाएं।
क्यों हो रही है सस्ते रिफाइंड तेल की बाढ़?
SEA के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता के अनुसार, नेपाल से सस्ता रिफाइंड तेल बिना किसी आयात शुल्क के भारत आ रहा है। यह पूरी तरह SAFTA समझौते के तहत जीरो ड्यूटी इंपोर्ट की वजह से हो रहा है।
SEA की सरकार से मांग:
- SAFTA एग्रीमेंट को रेगुलेट किया जाए।
- रिफाइंड तेल के फ्री ड्यूटी इंपोर्ट पर रोक लगाई जाए।
- तेल आयात की लिमिट तय की जाए और स्टेटवाइज कोटा सिस्टम लागू किया जाए।
डॉ. मेहता ने यह भी कहा कि नेपाल हर महीने 40-50 हजार टन तेल भारत को एक्सपोर्ट कर रहा है, जिससे घरेलू रिफाइनर्स और किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है।
सरकार को रेवेन्यू का नुकसान
- घरेलू तेल रिफाइनिंग कंपनियों को नुकसान हो रहा है।
- किसानों की आय प्रभावित हो रही है।
- सरकार को भी भारी टैक्स रेवेन्यू का घाटा हो रहा है।
जीरे की कीमतों में गिरावट, क्या करें निवेशक?
इस बीच, एग्री कमोडिटी मार्केट में भी हलचल देखने को मिल रही है। प्रोइंटेलिट्रेड सर्विसेज के दिनेश सोमानी ने बताया कि जीरे की कीमतों में गिरावट जारी है।
- जीरे का मार्च कॉन्ट्रैक्ट 20,000 रुपये के स्तर से नीचे आ गया।
- निवेशक 20,000 रुपये के अंदर खरीदारी कर सकते हैं।
- 10-15 दिनों में 21,450 रुपये के लक्ष्य तक पहुंच सकता है।