आज शहादत दिवस है. आज ही के दिन 1931 में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर जेल में फांसी दी गई थी। इन स्वतंत्रता सेनानियों ने तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के जुल्मों-सितम की परवाह किये बिना देश की खातिर अपने प्राणों की आहुति दे दी। अदालत ने उनकी फाँसी के लिए 24 मार्च का दिन तय किया था, लेकिन ब्रिटिश सरकार के प्यादों को डर था कि आम लोग भगत सिंह और उनके साथियों के पक्ष में जेल के बाहर कोई बड़ा हंगामा न कर दें। इसीलिए उस समय के अधिकारियों ने एक मानद न्यायाधीश की देखरेख में एक दिन पहले ही उन्हें फाँसी दे दी। उन सभी ने भी हँसते हुए फाँसी की रस्सियों को चूम लिया और फिर वे अमर हो गये और इतिहास बन गये। उस समय की भयभीत सरकार तीनों शहीदों के शव देखकर ही घबरा रही थी। जेल के बाहर भीड़ बढ़ती जा रही थी. फिर अधिकारियों ने जेल की पिछली दीवार तोड़ दी और फिर फिरोजपुर से करीब 10 किलोमीटर दूर गंडा सिंह वाला गांव के बाहर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. आतंक के गोरे अफसरों ने तीनों शहीदों की राख भी रातों-रात सतलज नदी में प्रवाहित कर दी। इनकी और हजारों अन्य शहादतों के बाद 15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद हो गया। शहीद भगत सिंह सहित सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने एक आदर्श भारत का सपना देखा होगा और गुरुओं, पीरों, फकीरों, वेदों, उपनिषदों की शिक्षाओं का पालन करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया होगा। वे सोचते होंगे कि उनके बलिदान से आने वाली पीढ़ियाँ सुखी और समृद्ध होंगी। उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा कि युवा नशे की लत में पड़ जाएंगे और 21वीं सदी की शुरुआत से ही गैंगस्टरों का पतन शुरू हो जाएगा. शहीदों ने कभी नहीं सोचा होगा कि स्वतंत्र भारत में कब्ज़ा हो जाएगा, नैतिकता के सभी सिद्धांतों की धज्जियाँ उड़ा दी जाएंगी और हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार व्याप्त हो जाएगा। किसी छोटे-बड़े का कोई लिहाज नहीं रहेगा, बुजुर्गों का मान बहुत कम हो जाएगा।
आज हमारा देश बड़ी आर्थिक कठिनाइयों का शिकार है। पंजाब सरकार समेत पूरे भारत पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. हमारे युवाओं को विदेश जाने का चलन छोड़कर देश की सेवा में लगना चाहिए। अगर वे दूसरे देश में जाकर मेहनत कर सकते हैं तो अपनी धरती पर भी यह सब कर सकते हैं। वर्तमान समय में देश के सामने गरीबी, अशिक्षा, असमानता, लैंगिक भेदभाव, आतंकवाद, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद और बढ़ती हिंसा जैसी चुनौतियां खड़ी हैं। आइए, आज शहीदी दिवस के अवसर पर हम सब शहीदों के सपनों को पूरा करने, उनकी इच्छाओं को एक-एक करके पूरा करने और सभी चुनौतियों का डटकर सामना करने का संकल्प लें। तभी हमारा भारत सही मायनों में धरती पर स्वर्ग बन सकेगा।