पुलिस बल की मौजूदगी में निकली महाकाल की पालकी

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हमीरपुर, 26 अगस्त (हि.स.)। बीते पांच साल पहले का दंश झेलने वाले मौदहा कस्बे में कुछ राजनीतिक लोगों की वजह से एक बार फिर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आंशका बन गई थी लेकिन मंगलवार को प्रशासनिक अधिकारियों ने दोनों पक्षों से बातचीत कर बीच का रास्ता निकाल लिया।

मौदहा कस्बे के हुसैनिया स्थित शिवमंदिर से निकलने वाली महाकाल की पालकी को लेकर नये रास्ते से नया जुलूस निकालने की कोई परम्परा स्थापित नहीं होने को लेकर मोहल्ले के कुछ लोगों ने मंगलवार को आपत्ति जताते हुए उपजिलाधिकारी को एक पत्र लिखा जिसपर उपजिलाधिकारी, क्षेत्राधिकारी ने दोनों पक्षों को कोतवाली बुलाकर बातचीत करना शुरू किया लेकिन देखते ही देखते दोनों पक्षों के लोगों की भीड़ कोतवाली में इकट्ठा हो गई और घंटों चली बातचीत के बाद प्रशासन ने मध्यस्थता कर पालकी निकलवाने का काम किया। हालांकि इसमें प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। बीते सप्ताह कस्बे के हुसैनिया निवासी जे.के.यादव ने हुसैनिया में स्थित शिवमंदिर से महाकाल की पालकी निकालने का आवेदन किया था जिसपर प्रशासनिक अधिकारियों ने बिना वास्तविक स्थिति का जायजा लिया स्वीकृति प्रदान कर दी

, जिसको लेकर बीजेपी और सहयोगी दलों ने जमकर डीजे के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जिसकी खबर मोहल्ले के लोगों लगी तो याकूब गडडी,कांग्रेसी नेता सलीम अहमद सहित अन्य लोगों ने उपजिलाधिकारी को एक पत्र लिखकर महाकाल की पालकी न निकाल कर नयी परम्परा नहीं डालने की बात कही।जिसपर उपजिलाधिकारी राजेश चंद्र, क्षेत्राधिकारी आशीष कुमार, कोतवाली प्रभारी राम आसरे सरोज ने दोनों पक्षों को बुलाकर बातचीत की लेकिन मामला सुलझने के बजाय उलझने लगा जिसको लेकर आनन फानन में अपर जिलाधिकारी और अपर पुलिस अधीक्षक मायाराम भी कोतवाली पहुंच गए जबकि पुलिस अधीक्षक दीक्षा शर्मा मुख्यालय में बैठकर मामले की मानीटरिंग करती रही।और घंटों तक कई राउंड दोनों पक्षों से बातचीत की लेकिन दोनों पक्ष पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो सके।जिसके चलते कई थानो की पुलिस भी बुलाई गई।लेकिन बातचीत के माध्यम से हल नहीं निकलने के बाद दोनों पक्ष कोतवाली से चले आए।

जबकि एक पक्ष के सलीम अहमद सहित अन्य लोगों की मांग थी कि इस बार पालकी निकाल लें लेकिन प्रशासन इस बात को लिखित रूप में दे कि आगे से नहीं निकाली जाएगी।जिस पर प्रशासनिक अधिकारियों ने गोल मोल जवाब दिया। इस मामले में धार्मिक लोगों से अधिक दोनों पक्षों से राजनीतिक लोग मौजूद रहे जिसके चलते मामले में जमकर राजनीति की गई। बताते चलें कि बीते पांच साल पहले कंश का दंश झेलने वाले मौदहा कस्बे को भी ऐसे ही राजनीतिक लोगों की नजर लग गई थी जिसके बाद मौदहा में कंश मेले पर साम्प्रदायिक सौहार्द खराब हुआ था।अगर मंगलवार को प्रशासनिक अधिकारी इतनी सूझबूझ से काम नहीं लेते तो एक बार फिर कस्बे में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आंशका बन रही थी।इस दौरान अपर जिलाधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक मायाराम वर्मा, क्षेत्राधिकारी सदर राजेश कंवल, क्षेत्राधिकारी मौदहा आशीष कुमार, उपजिलाधिकारी राजेश चंद्र, कोतवाली प्रभारी राम आसरे सरोज के साथ कई थानों की पुलिस मौजूद रही।