लोकसभा चुनाव 2024: लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों के ऐलान से पहले भारतीय जनता पार्टी और आईएनडी गठबंधन के बीच चुनावी जंग शुरू हो गई है. बीजेपी का लक्ष्य उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का है. आईएनडी गठबंधन बीजेपी से मुकाबले के लिए हर पहलू पर विचार कर कार्यक्रम आयोजित कर रहा है.
ऐसे समय में आईएनडी गठबंधन की ओर से बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती से संपर्क करने की चर्चा चल रही है और दावा किया जा रहा है कि भारत गठबंधन मायावती को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना रहा है. अब सवाल ये है कि क्या वाकई मायावती होंगी आईएनडी गठबंधन की पीएम उम्मीदवार?
बता दें कि मायावती की बहुजन समाज पार्टी को लेकर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि इंडिया अलायंस ने गुपचुप तरीके से बीएसपी सुप्रीमो को पीएम मोदी और एनडीए के खिलाफ इंडिया अलायंस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए मना लिया है.
इसके साथ ही दावा किया गया कि इंडिया अलायंस मायावती को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने जा रहा है! आईएनडी गठबंधन से मायावती की नजदीकियों की चर्चाओं के बीच बसपा सुप्रीमो ने शनिवार को अपना बयान जारी कर ऐसी सभी अटकलों पर विराम लगा दिया और साफ कर दिया कि उनके मन में क्या है? इसके साथ ही उन्होंने चुनाव में तीसरे मोर्चे की तैयारी को लेकर भी बयान जारी किया है.
मायावती ने एक्स पर एक के बाद एक दो पोस्ट शेयर कीं, जिसमें उन्होंने कहा, बीएसपी देश में लोकसभा का आम चुनाव पूरी तैयारी और ताकत के साथ लड़ रही है। ऐसे में चुनावी गठबंधन या तीसरे मोर्चे आदि की अफवाह फैलाना फर्जी खबर है. ऐसी तूफ़ानी ख़बरें दिखाकर मीडिया अपनी विश्वसनीयता ख़त्म नहीं कर रहा है. लोगों को भी सावधान रहना चाहिए.
एक अन्य पोस्ट में मायावती ने लिखा कि खासकर यूपी में विपक्ष काफी बेचैन महसूस कर रहा है क्योंकि बीएसपी अकेले दम पर बड़ी ताकत के साथ चुनाव लड़ रही है. इसलिए आए दिन तरह-तरह की अफवाहें फैलाकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश करते हैं, लेकिन समाज हित में बहुजन बसपा का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला अटल है।
गौरतलब है कि इससे पहले बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने आईएनडी गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश की आलोचना करते हुए बयान दिया था कि वह 2024 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगी.
भले ही मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, लेकिन जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव से पहले मायावती अपने बयान से पलट सकती हैं और आचार संहिता लागू होने से पहले ऐसा कर सकती हैं. क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने ठीक यही किया था.
उन्होंने यूपी में अपनी कट्टर प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया. उस वक्त मायावती ने कारण बताया था कि बीजेपी देश में भ्रष्ट और सांप्रदायिक राजनीति कर रही है, इसलिए उन्होंने ये फैसला लिया है.
इस बार भी अंतत: बसपा की हार की संभावना अधिक है. क्योंकि, 2019 में एसपी-बीएसपी गठबंधन से बीएसपी को फायदा हुआ था. उन्होंने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा और 10 सीटें जीतीं.
2014 में जब मायावती अकेले चुनाव लड़ीं तो बसपा एक भी सीट नहीं जीत सकी. ऐसे समय में 2022 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी के नतीजे बेहद निराशाजनक रहे, बीएसपी का सिर्फ एक विधायक जीता. ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि मायावती 2024 का चुनाव अकेले लड़ेंगी.
गौरतलब है कि 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस आईएनडी गठबंधन के तहत मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर भी मतभेद है.
समाजवादी पार्टी ने 29 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि कांग्रेस ने अपने सीट बंटवारे के तहत आने वाली 17 लोकसभा सीटों में से किसी पर भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक इच्छुक कांग्रेस उम्मीदवारों को 12 मार्च तक इंतजार करने को कहा गया है.
ऐसे समय में बसपा ने भी अपने समन्वयकों से इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन स्वीकार करने को कहा है. वहीं पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही बीजेपी ने यूपी की 80 में से 51 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं.