
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के छोटे दुकानदारों और घर से व्यवसाय करने का सपना देखने वालों के लिए एक बहुत बड़ा और क्रांतिकारी बदलाव किया है। अब यूपी में आप अपने आवासीय मकान के भूतल (ग्राउंड फ्लोर) पर भी दुकान या किसी छोटे-मोटे व्यापार से जुड़ी गतिविधि को चला सकेंगे। सबसे अच्छी बात यह है कि इसके लिए आपको अपने घर का नक्शा दोबारा पास कराने की झंझट से मुक्ति मिलेगी!
यह अहम बदलाव उत्तर प्रदेश की नई ‘भवन उपविधि 2025’ में शामिल किया जा रहा है, जिसे शहरी विकास विभाग ने तेज़ी से लागू करने की तैयारी कर ली है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना और लाखों छोटे उद्यमियों को बिना किसी अनावश्यक सरकारी कागजी कार्रवाई के अपना काम शुरू करने या उसे वैध बनाने का मौका देना है।
क्या है यह नया नियम और किनके लिए है फायदेमंद?
नए नियम के मुताबिक, यदि आपका प्लॉट 300 वर्ग मीटर (लगभग 3229 वर्ग फुट) तक का है, तो आप अपने आवासीय मकान के भूतल पर ही प्रदूषण मुक्त व्यावसायिक गतिविधियों को शुरू कर सकते हैं। इसके लिए आपको पहले की तरह अलग से व्यावसायिक नक्शा पास कराने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जो एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया होती थी।
किनके लिए बड़ी सहूलियत?
यह बदलाव उन लोगों के लिए खास तौर पर फायदेमंद होगा जो अपने घर से ही छोटे व्यवसाय जैसे:
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किराना की दुकान
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कॉस्मेटिक्स की दुकान
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बुटीक
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सैलून / ब्यूटी पार्लर
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छोटे कार्यालय
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कोचिंग सेंटर (कम छात्रों वाले)
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डॉक्टरों या वकीलों के क्लीनिक / चैंबर
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मीटिंग पॉइंट आदि चलाना चाहते हैं।
शर्तें भी हैं ज़रूरी:
हालांकि, इस छूट के साथ कुछ महत्वपूर्ण शर्तें भी जोड़ी गई हैं, जिनका पालन करना ज़रूरी होगा:
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भूतल पर ही संचालन: व्यावसायिक गतिविधि केवल ग्राउंड फ्लोर पर ही की जा सकेगी। मकान के ऊपरी तल पूरी तरह से आवासीय ही रहेंगे।
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प्रदूषण मुक्त: व्यवसाय से किसी भी प्रकार का प्रदूषण (हवा, ध्वनि या जल प्रदूषण) नहीं होना चाहिए।
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फ्रंट सेटबैक: घर के सामने कम से कम 3 मीटर (लगभग 10 फीट) का ‘सेटबैक’ यानी खुली जगह छोड़ना अनिवार्य होगा, ताकि आवाजाही में दिक्कत न हो।
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पर्याप्त पार्किंग: परिसर में वाहन खड़े करने के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध होनी चाहिए, ताकि सड़कों पर ट्रैफिक जाम न लगे।
सरकार का मानना है कि पहले से ही कई आवासीय इलाकों में छोटे-छोटे व्यवसाय बिना कानूनी अनुमति के चल रहे थे, जिससे अवैधता और राजस्व के नुकसान की समस्या थी। यह नया नियम उन्हें वैधता प्रदान करेगा और छोटे स्तर पर स्वरोजगार को बढ़ावा देगा, जिससे आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी और लाइसेंस, मंजूरी और नौकरशाही की परेशानी भी कम होगी। यह कदम राज्य के समग्र विकास और ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस (व्यवसाय करने में आसानी) को बढ़ाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।