उत्तराखंड हिमस्खलन: चमोली जिले में BRO शिविर में बड़ा हादसा, बचाव कार्य जारी

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उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव के पास सीमा सड़क संगठन (BRO) के शिविर में भारी हिमस्खलन हुआ, जिससे 54 मजदूर बर्फ के नीचे दब गए। राहत और बचाव दल ने अब तक 46 मजदूरों को सुरक्षित बचा लिया है, लेकिन इस दर्दनाक हादसे में 5 मजदूरों की मौत हो चुकी है। अब भी 3 मजदूर लापता हैं, जिन्हें खोजने के लिए खोजी कुत्तों और हेलीकॉप्टरों की मदद से रविवार (2 फरवरी) को तीसरे दिन भी बचाव अभियान जारी रहा।

अब तक 51 मजदूरों को निकाला गया, 5 की मौत

28 फरवरी को हुए इस हादसे के बाद राहत एवं बचाव दल ने शनिवार तक कम से कम 50 मजदूरों को बचाया था, लेकिन उनमें से 4 मजदूरों की जान नहीं बच सकी। रविवार सुबह भारतीय सेना को एक और शव मिला, जिससे मृतकों की संख्या 5 हो गई। बाकी लापता 3 मजदूरों को निकालने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। माणा चौकी में बचाए गए मजदूरों की चिकित्सा की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने राहत कार्यों का लिया जायजा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर माणा में चल रहे बचाव कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि हिमस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों में बिजली, संचार और अन्य सुविधाएं जल्द से जल्द बहाल की जाएं।

चमोली के जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि मौसम साफ होते ही राहत और बचाव अभियान दोबारा शुरू कर दिया गया। लापता मजदूरों की खोज के लिए दिल्ली से ‘GPR (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार) सिस्टम’ मंगाया गया है, जिससे बर्फ के नीचे दबे लोगों का पता लगाने में मदद मिलेगी।

3200 मीटर की ऊंचाई पर हुआ हादसा, 54 मजदूर फंसे थे

भारत-चीन सीमा पर स्थित आखिरी भारतीय गांव माणा में यह हिमस्खलन शुक्रवार को हुआ, जिसमें BRO के शिविर में मौजूद 8 कंटेनरों में रह रहे 54 मजदूर फंस गए थे। शुरुआत में मजदूरों की संख्या 55 बताई जा रही थी, लेकिन बाद में पता चला कि एक मजदूर पहले ही अपने घर (हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा) सुरक्षित लौट चुका था।

बचाव अभियान में जुटे भारतीय सेना और वायुसेना के हेलीकॉप्टर

भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और उत्तर भारत के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल डी.जी. मिश्रा बचाव अभियान की निगरानी के लिए मौके पर मौजूद हैं।

बचाव अभियान में तैनात हेलीकॉप्टर:

  • भारतीय सेना की एविएशन कोर के 3 हेलीकॉप्टर
  • भारतीय वायुसेना के 2 हेलीकॉप्टर
  • सेना द्वारा किराए पर लिया गया 1 सिविल हेलीकॉप्टर

कुल 6 हेलीकॉप्टरों की मदद से राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है।

चार लापता मजदूरों की तलाश जारी

अब भी हिमाचल प्रदेश के हरमेश चंद, उत्तर प्रदेश के अशोक, उत्तराखंड के अनिल कुमार और अरविंद सिंह बर्फ के नीचे दबे हुए हैं। सेना का कहना है कि घटनास्थल तक पहुंचने का रास्ता कई जगहों पर बर्फ से अवरुद्ध है, जिसके कारण अभियान में चुनौतियां आ रही हैं।

उन्नत तकनीक का उपयोग, लेकिन मौसम बड़ी बाधा

लेफ्टिनेंट जनरल सेनगुप्ता ने कहा कि मौसम साफ होने पर और उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा:

  • रेको रडार (बर्फ के नीचे दबे लोगों का पता लगाने वाला उपकरण)
  • यूएवी (मानव रहित विमान)
  • क्वाडकॉप्टर (छोटे ड्रोन)
  • हिमस्खलन बचाव में प्रशिक्षित खोजी कुत्ते

200 से अधिक बचावकर्मी अभियान में जुटे

इस बड़े बचाव अभियान में 200 से अधिक लोग शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
  • भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP)
  • सीमा सड़क संगठन (BRO)
  • राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF)
  • राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF)
  • भारतीय सेना और वायुसेना
  • जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और अग्निशमन सेवा