
देश की सेवा और भारतीय सेना का जुनून कुछ परिवारों में विरासत की तरह होता है। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है हिमानी तोमर की, जिन्होंने अपने फौजी पिता और भाई की विरासत को आगे बढ़ाते हुए खुद भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर देश का गौरव बढ़ाया है। उनकी यह उपलब्धि लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में भारतीय सेना के बढ़ते कदमों का एक शानदार उदाहरण है।
सेना के परिवेश में पली-बढ़ी हिमानी
उत्तर प्रदेश के बागपत की रहने वाली हिमानी तोमर के खून में ही देशप्रेम और सेना का अनुशासन घुला हुआ है। उनके पिता, सूबेदार मेजर चंद्रबीर सिंह, ने देश के लिए दशकों सेवा दी है, और उनके भाई, हवलदार अनिल कुमार, भी भारतीय सेना का अभिन्न अंग हैं। बचपन से ही उन्होंने अपने घर में सैन्य परिवेश देखा, अपने पिता और भाई को देश सेवा के प्रति समर्पित पाया, और इसी से उन्हें भी सेना में शामिल होने की गहरी प्रेरणा मिली। हिमानी अक्सर अपने पिता और भाई की कहानियों से प्रभावित होती थीं और हमेशा से देश की सेवा करने का सपना देखती थीं।
सपनों को साकार करने की यात्रा
हिमानी के लिए सेना में शामिल होना सिर्फ एक सपना नहीं था, बल्कि एक लक्ष्य था जिसके लिए उन्होंने अथक परिश्रम किया। यह आसान नहीं था, क्योंकि सैन्य प्रशिक्षण बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, जिसके लिए शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से मजबूत होना पड़ता है। हालांकि, हिमानी अपने निश्चय पर अडिग रहीं।
अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने आखिरकार प्रतिष्ठित ‘ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (OTA), चेन्नई’ में प्रवेश पाया। यह भारतीय सेना में अधिकारी बनने का पहला कदम था। ओटीए में उन्हें एक कठिन और कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरना पड़ा, जिसने उनके आत्मविश्वास, दृढ़ता और नेतृत्व गुणों को निखारा।
लेफ्टिनेंट बनी हिमानी, पिता और भाई हुए गर्व से निहाल
ओटीए में शानदार प्रदर्शन के बाद, हिमानी ने आखिरकार लेफ्टिनेंट के पद पर कमीशन प्राप्त किया। उनके कमीशनिंग समारोह में, उनके पिता, सूबेदार मेजर चंद्रबीर सिंह और भाई, हवलदार अनिल कुमार, भी मौजूद थे। अपनी बेटी/बहन को भारतीय सेना की वर्दी में देखकर उनके गर्व की कोई सीमा नहीं थी। यह उनके लिए एक भावुक क्षण था, क्योंकि उनकी परिवार की सैन्य परंपरा को हिमानी ने नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया था। हिमानी ने एक नया इतिहास रचा कि वे एक फौजी की बेटी और फौजी की बहन होते हुए अब खुद भी फौजी बन गई हैं।
हिमानी तोमर की यह कहानी लाखों युवाओं, विशेषकर लड़कियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। यह साबित करती है कि अगर सपने देखने की हिम्मत हो, उन सपनों को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्प और अथक मेहनत करने का जुनून हो, तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है और असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। हिमानी ने यह दिखाया है कि महिलाएं आज पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में देश की सेवा कर सकती हैं और नया मुकाम हासिल कर सकती हैं।