Kanipakam Vinayaka Temple : दक्षिण भारत का वो अनोखा मंदिर जहाँ जीवित हैं गणपति, हर साल बढ़ रहा है मूर्ति का आकार

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News India Live, Digital Desk: भारत को चमत्कारों और रहस्यों का देश यूँ ही नहीं कहा जाता। यहाँ आस्था की ऐसी-ऐसी कहानियां हैं, जो विज्ञान और तर्क से परे लगती हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ भक्तों का मानना है कि भगवान स्वयं 'जीवित' अवस्था में हैं, क्योंकि उनकी मूर्ति आज भी अपना आकार बदल रही है। यह अद्भुत स्थान है आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित कनिपक्कम वरसिद्धि विनायक मंदिर।

एक चमत्कार से हुई थी मंदिर की शुरुआत

इस मंदिर की नींव एक चमत्कार पर रखी गई है। कहा जाता है कि बहुत समय पहले यहाँ तीन भाई रहते थे, जो शारीरिक रूप से दिव्यांग थे। एक अंधा, दूसरा मूक और तीसरा बधिर था। वे खेती करके अपना जीवन चलाते थे। एक बार खेतों को पानी देने के लिए वे एक पुराने कुएं को और गहरा खोदने लगे। खुदाई के दौरान उनका औजार किसी कठोर चीज से टकराया और उसमें से खून की धारा बह निकली। इस घटना के साथ ही उन तीनों भाइयों की दिव्यांगता भी चमत्कारिक रूप से दूर हो गई।

जब गांव वालों ने कुएं में झांका, तो उन्हें वहां गणेश जी की एक मूर्ति मिली, जो खून से लथपथ थी। तभी से यह मूर्ति 'स्वयंभू' यानी स्वयं प्रकट हुई मानी जाती है।

आस्था का वो केंद्र, जहाँ आज भी हो रहा है चमत्कार

जिस कुएं में यह मूर्ति प्रकट हुई थी, वह आज भी मंदिर के गर्भगृह में मौजूद है और मूर्ति उसी के अंदर स्थापित है। लेकिन इस मंदिर की सबसे हैरान करने वाली बात, जो इसे बाकी मंदिरों से अलग करती है, वो है इस मूर्ति का लगातार बढ़ता आकार। यहाँ आने वाले भक्त और पुजारी बताते हैं कि यह मूर्ति साल दर साल धीरे-धीरे बड़ी हो रही है।

इस बात का प्रमाण वो कवच माने जाते हैं, जो कई दशक पहले भक्तों ने प्रतिमा को पहनाए थे, लेकिन आज वो उसे छोटे पड़ गए हैं। लोगों का कहना है कि शुरुआत में मूर्ति का आकार बहुत छोटा था, लेकिन आज प्रतिमा का पेट और घुटना स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

क्या कहती है भविष्य की मान्यता?

इस रहस्यमयी घटना को लेकर एक बहुत गहरी मान्यता जुड़ी हुई है। लोगों का विश्वास है कि भगवान गणेश की यह प्रतिमा कलयुग के अंत तक बढ़ती रहेगी। और जब पाप का घड़ा भर जाएगा, उस दिन भगवान गणेश इस मूर्ति से स्वयं प्रकट होंगे और धर्म की स्थापना करेंगे।

यह मान्यता इस जगह को आस्था और रहस्य का एक अनूठा संगम बना देती है। हर साल, गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहाँ एक भव्य ब्रह्मोत्सव का आयोजन होता है, जिसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। वे न सिर्फ अपनी मन्नतें लेकर आते हैं, बल्कि उस चमत्कार के साक्षी भी बनना चाहते हैं, जो आज भी उस मंदिर में घटित हो रहा है।

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