Kalawa: हाथ में कलावा (रक्षा सूत्र) बांधने का सही तरीका और महत्व

 Kalawa: हाथ में कलावा (रक्षा सूत्र) बांधने का सही तरीका और महत्व
Kalawa: हाथ में कलावा (रक्षा सूत्र) बांधने का सही तरीका और महत्व

News India Live, Digital Desk:  Kalawa: सनातन धर्म में कलावा या रक्षा सूत्र पहनने का विशेष महत्व माना गया है। आमतौर पर घरों में पूजा-पाठ या हवन के बाद पंडित सभी उपस्थित लोगों की कलाई पर कलावा बांधते हैं। यह माना जाता है कि कलावा बांधने से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और उसका आत्मविश्वास मजबूत होता है।

कलावा का धार्मिक महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कलावा बांधते समय पंडित जी भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा के मंत्रों का जाप करते हुए देवताओं का आह्वान करते हैं। इससे कलावे में तीनों देवों की शक्ति का संचार हो जाता है, जो व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा, रोग और बुरी नजर से बचाता है। हालांकि, समय के साथ इस रक्षा सूत्र की ऊर्जा कम होने लगती है।

कितने दिनों तक धारण करें कलावा?

ज्योतिष के मुताबिक, किसी भी कलावे को अधिकतम 21 दिनों तक ही धारण करना चाहिए। इस अवधि के बाद यह धागा कमजोर पड़ने लगता है, रंग फीका हो जाता है और यह गंदा भी हो सकता है। ऐसा होने पर कलावा सकारात्मक प्रभाव की बजाय अशुभ फल देने लगता है।

कलावा उतारने के बाद क्या करें?

धार्मिक विद्वानों का कहना है कि इस्तेमाल किया गया कलावा इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए। इसे मंदिर या पेड़ पर बांधना भी उचित नहीं माना जाता। कलावा उतारने के बाद इसे साफ मिट्टी में दबा देना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से उस कलावे से जुड़ी नकारात्मक ऊर्जा जमीन में समाहित हो जाती है और व्यक्ति किसी भी प्रकार के अशुभ प्रभाव से बचा रहता है।

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