Jyeshtha Purnima 2025: आस्था, पुण्य और सौभाग्य का महापर्व

Jyeshtha Purnima 2025: आस्था, पुण्य और सौभाग्य का महापर्व!
Jyeshtha Purnima 2025: आस्था, पुण्य और सौभाग्य का महापर्व!

News India Live, Digital Desk:  Jyeshtha Purnima 2025:  ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा, जिसे ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ के नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म में सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि आस्था और पवित्रता का महापर्व है। इस दिन चांद अपनी सोलह कलाओं में पूरा होता है, और माना जाता है कि इस पावन तिथि पर किए गए हर शुभ कर्म का फल कई गुना होकर मिलता है। यह दिन न केवल आध्यात्मिक शुद्धता का प्रतीक है, बल्कि विवाहित महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य का भी वरदान लेकर आता है।

क्या है इसका महत्व?
ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रदेव को समर्पित होता है। इस दिन पवित्र नदियों में डुबकी लगाना, दान-पुण्य करना और विधिवत पूजा-अर्चना करना अत्यंत फलदायी माना गया है। कहते हैं कि इससे हमारे सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

वट पूर्णिमा का विशेष संबंध:
इस पावन तिथि पर सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और अखंड सौभाग्य के लिए ‘वट पूर्णिमा’ का कठिन व्रत रखती हैं। यह व्रत देवी सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा से जुड़ा है, जहां सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ (वट वृक्ष) की पूजा करती हैं, क्योंकि इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास स्थान माना जाता है।

कैसे करें पूजन और क्या है शुभ मुहूर्त (2025)?
साल 2025 में ज्येष्ठ पूर्णिमा का पर्व 10 जून को मनाया जाएगा। इस दिन शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए:

  • ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 9 जून, 2025 को शाम 05 बजकर 50 मिनट से

  • ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि समाप्त: 10 जून, 2025 को शाम 07 बजकर 50 मिनट तक

स्नान-दान का शुभ मुहूर्त:

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 43 मिनट तक। (इस समय स्नान करना सबसे उत्तम माना जाता है)

  • आप पूरे दिन अपनी सुविधानुसार स्नान और दान कर सकते हैं।

पूजा का शुभ समय:

  • सूर्य उदय के बाद और चंद्र उदय से पहले किसी भी शुभ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं। चंद्रोदय के समय चंद्रदेव को अर्घ्य देना न भूलें।

क्या करें और क्या न करें?
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान, दान, जप, तप और पूजा-पाठ अवश्य करें। भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्रों का जाप करें। इस दिन मन में कोई बुरा विचार न लाएं, किसी को अपशब्द न कहें और झूठ बोलने से बचें। पवित्रता और सादगी का पालन करें।

मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा और विधि-विधान से किए गए पूजन से भगवान प्रसन्न होते हैं और आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन किया गया हर शुभ कर्म आपके जीवन को खुशियों और समृद्धि से भर देता है।

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